Ahoi Ashtami 2021: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन मां अहोई की पूरे विधि-विधान से पूजा (Ahoi Puja) की जाती है। इस दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की भी उपासना की जाती है। इस दिन संतान की दीर्घायु के साथ-साथ
Ahoi Ashtami 2021: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन मां अहोई की पूरे विधि-विधान से पूजा (Ahoi Puja) की जाती है। इस दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की भी उपासना की जाती है। इस दिन संतान की दीर्घायु के साथ-साथ
छठ पूजा 2021: छठ पूजा हिंदू धर्म का बहुत प्राचीन त्यौहार है, जो ऊर्जा के परमेश्वर के लिए समर्पित है जिन्हें सूर्य या सूर्य षष्ठी के रूप में भी जाना जाता है। छठ पूजा उत्तर भारत का एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है। खासतौर पर उत्तरप्रदेश और बिहार के लिए छठ
Dussehra 2021: आश्विन मास (Ashwin Month) की शुक्ल पक्ष (shukl paksh) की दशमी तिथि (Dashami Tithi) (15 अक्टूबर) को दशहरा (Dussehra 2021) पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) के हाथों रावण का वध होने के बाद से ही इस पर्व को मनाने की
Dussehra 2021: आश्विन मास (Ashwin Month) की शुक्ल पक्ष (shukl paksh) की दशमी तिथि (Dashami Tithi) (15 अक्टूबर) को दशहरा (Dussehra 2021) पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) के हाथों रावण का वध होने के बाद से ही इस पर्व को मनाने की
शारदीय नवरात्रि 2021: अश्विनी शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नौवें रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। आपको बता दें कि नवमी तिथि शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। बीते 7 अक्टूबर को शुरू हुए नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र पूजा आज सम्पूर्ण हो जायेगी। यह देवी
मेष राशि क्रोध की अधिकता रहेगी। किसी से विवाद होने की आशंका है। विरोधियों से सतर्क रहें। काम का दबाव ज्यादा रहेगा। दिनभर व्यस्तता में बीतेगा। परिवार के किसी सदस्य की बात से ठेस पहुंच सकती है। आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी। नौकरीपेशा लोगों को आफिस में सावधान रहना होगा। कोई
पंचांग: 14 अक्टूबर, 2021, गुरुवार विक्रम संवत – 2078, आनन्द शक सम्वत – 1943, प्लव पूर्णिमांत – आश्विन अमांत – आश्विन तिथि शुक्ल पक्ष नवमी – Oct 13 08:08 PM – Oct 14 06:52 PM शुक्ल पक्ष दशमी – Oct 14 06:52 PM – Oct 15 06:02 PM नक्षत्र उत्तराषाढ़ा
शारदीय नवरात्रि 2021: शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन महानवमी मनाई जाती है।शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 14 अक्टूबर दिन गुरुवार को है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी कहा जाता है। महानवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा करते
सिंदूर खेला 2021: नवरात्रि के त्योहार में पूरे देश भर में उत्सव का माहौल बना रहता है। देश में हर जगह अलग-अलग तरीकों से इस त्योहार को मनाया जाता है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लोग नौ दिनों तक व्रत-उपवास करते हैं। बंगाल में नवरात्रि के अंतिम दिन
रांची । रांची के बुढ़मू प्रखंड (Budhmu Block) के ठाकुरगांव में एक ऐतिहासिक मां भवानी शंकर मंदिर (Maa Bhavani Shankar Temple) है। यहां दुर्गा पूजा का इतिहास 500 साल पुराना है। नवरात्र शुरू होते ही यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। नवरात्रि में यहां पूजा के लिए विशेष
Vijayadashami 2021: दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर
Guru Margi 2021: अक्टूबर का महीनों ग्रहों की चाल के अनुसार महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की वक्री और मार्गी चाल को विशेष माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रह मार्गी अवस्था में होता है तो ये माना जाता है ये अपनी सीधी चाल से गति
काबुल: इन दिनों शारदीय नवरात्रि की धूम है। भारत सहित विश्वभर में सनातन धर्म को मानने वाले मां दुर्गा की भक्ति में पंड़ाल सजा कर जागरण और कीर्तन कर माता की पूजा अर्चना कर रहे है। अफगानिस्तान में भी जागरण और कीर्तन से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।अफगानिस्तान में तालिबान
शारदीय नवरात्रि 2021: सनातन संस्कृति में सुख-सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परंपरा रही है। हवन अथवा यज्ञ भारतीय परंपरा अथवा हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है। कुण्ड में अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना करने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं।औषधीय युक्त हवन सामग्री से हवन-यज्ञ करने
Pradosh Vrat 2021: अश्विन मास का दूसरा प्रदोष व्रत 17 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा। इस बार रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद और