वह समाज में सोचने, बात करने, चलने, उठने-बैठने के अलग-अलग तरीके अपनाने लगता है। उसके दिल और दिमाग में जुड़ाव, रिश्ते, प्यार, भावनाओं के रंग पारिवारिक रिश्तों जितने घनिष्ठ नहीं होते। उसे प्राय: औपचारिक जीवन जीना पड़ता है। वह अपने से अधिक पद, धन, प्रसिद्धि वाले व्यक्ति से नीच रहकर