सनातन जीवन संस्कृति का एक एक क्षण महत्वपूर्ण है। आज से नौ दिन हर घर मे शक्ति साधना, आराधना, पूजा, वंदना, स्तुति और आरती अवश्य होगी।
Chaitra Navratri 2024 : सनातन जीवन संस्कृति का एक एक क्षण महत्वपूर्ण है। आज से नौ दिन हर घर मे शक्ति साधना, आराधना, पूजा, वंदना, स्तुति और आरती अवश्य होगी। नवरात्रि में देवी दुर्गा के शक्तिपीठों के उद्भव और उनकी महत्ता की कथाओं का पाठ करना और सुनना बहुत फलदायी माना जाता है। आज 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो रहा है और समापन 17 अप्रैल को होगा। नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करना और मां आदिशक्ति के बारे मनन करना बहुत पुनीत माना जाता है।
शक्तिपीठ का अर्थ
शक्तिपीठ, देवी पीठ या सिद्धपीठ से उन स्थानों का ज्ञान होता है, जहां शक्ति रूपा देवी का अधिष्ठान (निवास) है। ऐसा माना जाता है कि ये शक्तिपीठ मनुष्य को समस्त सौभाग्य देने वाले हैं। मनुष्यों के कल्याण के लिए जिस प्रकार भगवान शंकर विभिन्न तीर्थों में पाषाण लिंग रूप में आविर्भूत हुए, उसी प्रकार करुणामयी देवी भी भक्तों पर कृपा करने के लिए विभिन्न तीर्थों में पाषाण रूप से शक्तिपीठों के रूप में विराजमान हैं।
51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं
पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण में ज़रूर 51 शक्तिपीठों की ही चर्चा की गई है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं और पूजा-अर्चना द्वारा प्रतिष्ठित हैं। ज्ञातव्य है कि इन 51 शक्तिपीठों में भारत-विभाजन के बाद 5 और भी कम हो गए और आज के भारत में 42 शक्तिपीठ रह गए है। 1 शक्तिपीठ पाकिस्तान में चला गया और 4 बांग्लादेश में। शेष 4 पीठों में 1 श्रीलंका में, 1 तिब्बत में तथा 2 नेपाल में है।
मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं
इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं क्योंकि नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार यानी आज से हो रही है। ज्योतिषियों की मानें तो, घोड़े पर सवार होकर मां दुर्गा का आना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता है बल्कि, इसे प्राकृतिक आपदा और अशुभ बातों का संकेत माना जाता है।
दो लौंग रोज अर्पित करें
नवरात्रि में पूरे नौ दिन सुबह-शाम दोनों समय पूजा करें। दोनों समय मंत्र का जाप करें और आरती भी करें। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे उत्तम रहेगा। इसका नियमित पाठ करते रहें। अलग-अलग दिन अलग-अलग प्रसाद का भोग लगाएं। या दो दो लौंग रोज अर्पित करें।