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Chaitra Navratri Ashtami 2025 : जानिए कब है दुर्गा अष्टमी , कन्या पूजन से पहले घर ले आएं ये सामग्री

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। भक्त गण इस दौरान उपवास रख कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते है और मनोकामना की पूर्ति का वरदान मांगते है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Chaitra Navratri Ashtami in 2025 : चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। भक्त गण इस दौरान उपवास रख कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते है और मनोकामना की पूर्ति का वरदान मांगते है। नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथि की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। आमतौर पर नवमी तिथि को हवन के साथ ही पूजा का समापन हो जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि में हवन करना बहुत शुभ माना जाता है।

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चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी तिथि पर कन्या पूजन में माँ दुर्गा के स्वरूप के रूप में छोटी लड़कियों की पूजा की जाती है।  इसे चैत्र नवरात्रि के दौरान सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माना जाता है और माना जाता है कि इससे भक्तों को आशीर्वाद मिलता है।

अष्टमी तिथि का प्रारंभ 4 अप्रैल की रात 8:12 मिनट से शुरू होकर 5 अप्रैल की शाम 7:26 तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार अष्टमी तिथि 5 अप्रैल को ही मनाई जाएगी। यानी जिन लोगों को अष्टमी का व्रत रखना है वह 5 अप्रैल को ही व्रत रखेंगे।

नवरात्रि हवन के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। शास्त्रों के अनुसार हवन के समय पति- पत्नी को साथ में बैठना चाहिए। किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें। हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें।

कन्या पूजन के नियम
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्याओं की पूजन करने से पहले सभी कन्याओं को आदर से आमंत्रित करें। उसके बाद कन्याओं को घर में प्रवेश करते समय उनके पैर धुलें और आसन बिछाकर बैठाएं। आसन पर बैठाकर उनके माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाए। उसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करें और सभी कन्याओं को भोजन कराएं।

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मीठा भोजन कराना चाहिए
कन्याओं को पवित्रता के साथ बनी पूरी, सब्जी, मीठा भोजन कराना चाहिए। भोजन कराने के बाद अपनी शक्ति अनुसार दक्षिणा दें। कन्याओं को विदा करते समय उनके भोजन की थाली खाली नहीं होनी, बल्कि उसमें थोड़ा सा प्रसाद अवश्य रखें। साथ ही उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और मां का ध्यान करें।

 

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