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NCERT Books से हटा बाबरी विध्वंस का चैप्टर, निदेशक बोले- देश के ‘बच्चों को क्यों पढ़ाएं हिंसा’

देश की शीर्ष शिक्षा संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT ) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी (Director Dinesh Prasad Saklani) ने किताबों में किए गए हालिया बदलावों को लेकर बयान दिया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश की शीर्ष शिक्षा संस्था राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT ) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी (Director Dinesh Prasad Saklani) ने किताबों में किए गए हालिया बदलावों को लेकर बयान दिया है। किताबों के बदलावों को लेकर उठे विवाद के बीच एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा कि घृणा और हिंसा शिक्षा के विषय नहीं हैं। उन्होंने कहा कि स्कूली किताबों में इन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। बता दें एनसीईआरटी की किताबों में बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid Demolition) और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Senior BJP leader Lal Krishna Advani) के नेतृत्व वाली राम रथ यात्रा के संदर्भों को हटा दिया गया है।

पढ़ें :- NEP 2020 : यूपी के प्राइमरी स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2025-26 से कक्षा तीन में NCERT किताबों से होगी पढ़ाई

एनसीईआरटी (NCERT ) की किताबों में किए गए बदलाव के मद्देनजर कई सवाल भी उठे। ऐसे आरोप भी लगे कि स्कूल के बच्चों की किताबों का भगवाकरण किया जा रहा है। इस बारे में बोलते हुए एनसीईआरटी (NCERT ) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी (Director Dinesh Prasad Saklani)  ने कहा कि पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं है, पाठ्यपुस्तकों में सभी परिवर्तन साक्ष्य और तथ्यों पर आधारित हैं।

एनसीईआरटी (NCERT ) की किताबों में बाबरी मस्जिद विध्वंस और लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) के नेतृत्व वाली राम रथ यात्रा के संदर्भों को हटाए जाने के सवाल पर सकलानी ने कहा कि हमें छात्रों को दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हमारा उद्देश्य बच्चों को हिंसक, अवसादग्रस्त नागरिक बनाना नहीं है। सकलानी ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में संशोधन एक वैश्विक प्रथा है, यह शिक्षा के हित में है। किताबों में बदलाव के बारे में जोड़ते हुए सकलानी कहते हैं कि यदि कोई चीज अप्रासंगिक हो जाती है, तो उसे बदला ही जाता है।

घृणा और हिंसा स्कूलों में पढ़ाने का विषय नहीं

एनसीईआरटी निदेशक (NCERT Director ) ने कहा कि घृणा और हिंसा स्कूलों में पढ़ाने का विषय नहीं है, पाठ्यपुस्तकों में इन पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए। विद्यालयों में इतिहास तथ्यों से अवगत कराने के लिए पढ़ाया जाता है, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए। इसके अलावा पाठ्यपुस्तकों में संशोधन विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, मैं प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता।

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