मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने शुक्रवार खनन विभाग के अधिकारियों के समक्ष कार्ययोजना को लेकर समीक्षा बैठक की है। इस दौरान उन्होंने कई दिशा निर्देश दिए। मुख्मयंत्री ने कहा कि, किसी भी दशा में ओवरलोडिंग न हो। यह नियम विरुद्ध भी है और दुर्घटनाओं का कारक भी बनता है।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने शुक्रवार खनन विभाग के अधिकारियों के समक्ष कार्ययोजना को लेकर समीक्षा बैठक की है। इस दौरान उन्होंने कई दिशा निर्देश दिए। मुख्मयंत्री ने कहा कि, किसी भी दशा में ओवरलोडिंग न हो। यह नियम विरुद्ध भी है और दुर्घटनाओं का कारक भी बनता है। इस दिशा में सख्ती की जानी चाहिए। साथ ही कहा कि, आमजन हों या पट्टाधारक सभी की सुविधा का ध्यान रखते हुए अनेक अभिनव प्रयास किए गए हैं।
खनन कार्य से जुड़े सभी हितधारकों के लिए पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो। यह सुनिश्चित करें कि खनिजों/उप खनिजों के मूल्य नियंत्रण में रहें। बालू, मौरंग, गिट्टी जैसे उप खनिजों की कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी न हो। विभिन्न विकास परियोजनाएं भी इससे प्रभावित होती हैं। ऐसे में उप खनिजों का कृत्रिम अभाव पैदा करने वाले कालाबाजारियों के खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाए।
साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि, लगातार प्रयासों से वित्तीय वर्ष 2022-23 में गत वर्ष की तुलना में माह जून तक ₹168 करोड़ अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए खनन कार्यों से ₹4,860 करोड़ राजस्व संग्रह का लक्ष्य है, जिसके अनुरूप आवश्यक प्रयास किए जाएं। सीएम ने कहा कि, इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस के माध्यम से खनन क्षेत्रों की जिओ फेंसिंग, खनिज परिवहन करने वालों वाहनों पर माइन टैग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चेक गेट की व्यवस्था खनन कार्यों को और पारदर्शी बनाने वाली है।
इसके साथ ही कहा फॉस्फोराइट, पोटाश, स्वर्ण धातु अयस्क, प्लेटिनम समूह के अयस्क, लौह अयस्क, एंडालूसाइट और सिलिमाइट जैसे उर्वरक खनिज, बहुमूल्य धातुओं, लौह धातु और रिफ्रैक्ट्री खनिजों के संबंध में निविदा की प्रक्रिया यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए। नदी तल स्थित बालू/मौरंग आदि के खनन क्षेत्रों की सस्टेनिबिलिटी के लिए तकनीकी संस्थाओं से री-प्लेनिशमेंट स्टडी कराई जाए।
इस कार्य हेतु भारत सरकार के उपक्रम CMPDIL जैसी प्रतिष्ठित संस्था का सहयोग लें। स्टडी रिपोर्ट के आधार पर ही भावी कार्ययोजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि, नदियों में बालू/मौरंग की पुनर्पूर्ति कम होने के दृष्टिगत बड़े जलाशयों, बांधों की ड्रेजिंग कराने से प्रचुर मात्रा में बालू/मौरंग उपलब्ध हो सकेगी। इस संबंध में समयबद्ध रूप से कार्य किया जाना चाहिए।