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लखनऊ में देश का पहला ‘एनीमल बर्थ कन्ट्रोल’ प्रशिक्षण केन्द्र शीघ्र बनेगा : अमृत अभिजात

श्वान के रखरखाव का बेहतर प्रबंधन कैसे हो इस पर युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। साथ ही लखनऊ में देश का पहला ‘एनीमल बर्थ कन्ट्रोल’ प्रशिक्षण केन्द्र शीघ्र बनाया जायेगा। प्रदेश के समस्त नगर निगमों में श्वानों को बढ़ती संख्या की रोकथाम के लिए एनीमल बर्थ कन्ट्रोल (एबीसी) सेन्टर बनाये जायेंगे।

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने कहा कि प्रदेश सरकार गुड गवर्नेंस की ओर बढ़ रही है और श्वानों की बढ़ती हुई संख्या एवं इससे उत्पन्न समस्या का बहुत ही सहानुभूति पूर्ण तरीके से समाधान निकाला जायेगा। इसके लिए उत्पन्न परिस्थितियों का अधिक से अधिक अध्ययन किया जायेगा। श्वान के रखरखाव का बेहतर प्रबंधन कैसे हो इस पर युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। साथ ही लखनऊ में देश का पहला ‘एनीमल बर्थ कन्ट्रोल’ प्रशिक्षण केन्द्र शीघ्र बनाया जायेगा। प्रदेश के समस्त नगर निगमों में श्वानों को बढ़ती संख्या की रोकथाम के लिए एनीमल बर्थ कन्ट्रोल (एबीसी) सेन्टर बनाये जायेंगे। लोगों को जागरूक करने साथ प्रशिक्षित भी किया जायेगा। साथ ही एबीसी नियम-2023 के तहत केन्द्र, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर समिति बनाने के प्रस्ताव पर प्रत्येक जनपद में समिति बनाई जायेगी।

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प्रमुख सचिव नगर विकास आज नगरीय निकाय निदेशालय के सभागार में ‘डॉग मैटर्स’ पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि अभी हॉल में कई जगहों से स्वानों के मानव पर अक्रमण करने की खबरें आई हैं। यहां तक कि अब तो श्वान समूह में आकर इंसानों पर हमला करने लगे है, फिर भी यह तो मानना ही होगा कि इस पृथ्वी में इंसान के अलावा स्वान अकेला ऐसा प्राणी है, जो पूरी वफादारी निभाता है और सदियों से मनुष्य के साथ रहता आया है। हमारी संस्कृति पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करती है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में इनके महानता के वर्णन हैं। हमारे आराध्य देवी-देवताओं के साथ भी किसी न किसी रूप में जुडे हुए हैं।

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए विशेष सचिव नगर विकास डॉ0 राजेन्द्र पैंसिया ने कहा कि हमारे देश में बचपन से ही जीवों के प्रति दया का भाव रखना सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि मानव और पशु के बीच संघर्ष न हो इस पर विशेष रूप से हमारी संस्कृति में जोर दिया गया है। कहा कि अध्ययन में आया है कि जहां खाद्य अपशिष्ट ज्यादा फेंके जाते हैं वहां पर स्वानों की संख्या ज्यादा बढ़ती है। इंसानों और स्वानों के बीच संतुलन बनाने के लिए इंसानी आबादी का कम से कम 3 प्रतिशत स्वान होना चाहिए। उन्होंने स्वानों के पंजीकरण, टीकाकरण, बंध्याकरण निराश्रित श्वानों को पालतू बनाने के लिए प्रोत्साहित करना तथा श्वानों की सामाजिक महत्व पर अपनी बात रखी।

नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि एक से दो वर्षों के भीतर श्वानों का पूरी तरह से बन्ध्यीकरण पूरा कर लिया जायेगा। अभी लखनऊ नगर निगम के अंतर्गत 55 हजार श्वानों का बन्ध्यीकरण किया गया है। मानव-श्वान संघर्ष बढ़ने के कारणों का भी परीक्षण किया जायेगा। ‘एनीमल वेलफेयर’ पर कार्य होगा। ‘ट्रस्टी पीपल फॉर एनीमल’ की श्रीमती गौरी मौलेखी ने मानव श्वान के बढ़ते संघर्ष की रोकथाम पर कहा कि प्रकृति में संतुलन बना रहे यह जरूरी है, इसके लिए प्रकृति के साथ छेड़खानी करना मानव के लिए ठीक नहीं होगा। एडब्ल्यूबीआई की सहायक सचिव सुश्री प्राची जैन श्वानों के बेहतर रखरखाव के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता तथा ‘एबीसी’ रूल-2023 पर अपनी बात रखी और प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किया।

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सेमिनार में फिश वेलफेयर इनीसिएटिव इण्डिया के टॉम बिलिंग्टन ने श्वानों के सामाजिक महत्व पर बोलते हुए कहा कि श्वान मानव व्यवहार की वजह से ही एग्रेसिव हो जाते हैं उन्हें भी दया और रखरखाव की जरूरत है। पूरी दुनिया में भारतीय संविधान ने तो पशुओं के कल्याण के लिए कानून बनाये हैं। श्वान समाज के लिए बहुत उपयोगी है। इसके अतिरिक्त मर्सी फॉर एनीमल्स इण्डिया फाउंडेशन के श्री निकुंज शर्मा, श्रीमती अनुराधा डोंगरा, अलोहा अहिंसा की डायरेक्टर डॉ0 ऐशर जेसुडॉस के साथ श्वान पशु प्रेमी, पेट शॉप के मालिक, ब्रीडर्स एवं समस्त नगर निगमों के अधिकारी, नगर निगम के पशु चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों ने निराश्रित श्वानों की बढ़ती संख्या के रोकथाम, मानव श्वान के बीच बढ़ते संघर्ष की रोकथाम, पालतू श्वान पंजीकरण व टीकाकरण, एबीसी रूल्स-2023, निराश्रित श्वानों को पालतू बनाने के लिए प्रोत्साहित करने आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये गये।

 

 

 

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