दुनिया के कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि कोविड वैक्सीनेशन (Covid Vaccine) ने न केवल कोरोना संक्रमण के गंभीर प्रभावों को कम किया, बल्कि लाखों जिंदगियां भी बचाईं। हाल के वर्षों में, विश्व स्वास्थ्य संगठनों और विभिन्न स्वास्थ्य विभागों ने कोविड को सीजनल वायरस की तरह मानना शुरू किया है।
नई दिल्ली। दुनिया के कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि कोविड वैक्सीनेशन (Covid Vaccine) ने न केवल कोरोना संक्रमण के गंभीर प्रभावों को कम किया, बल्कि लाखों जिंदगियां भी बचाईं। हाल के वर्षों में, विश्व स्वास्थ्य संगठनों और विभिन्न स्वास्थ्य विभागों ने कोविड को सीजनल वायरस की तरह मानना शुरू किया है। यानी जैसे हर साल फ्लू या इन्फ्लूएंजा के टीके लगाए जाते हैं, वैसे ही कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) की भी सालाना डोज की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञ कहते हैं, खासकर 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को हर साल कोविड के बूस्टर टीके दिए जाने चाहिए ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक को नए वैरिएंट्स के खिलाफ मजबूत बनाया जा सके। कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) को लेकर अब नई गाइडलाइंस (New Guidelines) आई हैं जिसमें वैज्ञानिकों ने बड़ा यूटर्न लिया है।
कोविड वैक्सीन को लेकर सीडीसी ने जारी की नई गाइडलाइन
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने अपनी नई गाइडलाइंस (New Guidelines) में सभी लोगों के लिए कोविड-19 (Covid-19 ) के टीके लगाने की सिफारिश पर रोक लगा दी है। टीका सलाहकार विशेषज्ञों के एक समूह ने हालिया गाइडलाइंस में कहा है कि अब सभी लोगों के लिए कोविड-19 के टीके जरूर नहीं हैं, ये लोगों के ऊपर निर्भर करता है कि वह टीके लगवाना चाहते हैं या नहीं।
सीडीसी (CDC) ने कहा हमने सलाहकारों की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है, जिसमें कहा गया है कि अब वार्षिक टीके सभी लोगों के लिए जरूरी नहीं हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों (US Health Officials) ने संक्रामक रोग विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर 6 महीने और उससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए सालाना कोविड-19 बूस्टर (Covid-19 Booster) की सिफारिश की थी। इसका उद्देश्य कोरोना वायरस (Coronavirus) में लगातार हो रहे म्यूटेशन के खिलाफ लोगों की इम्युनिटी को मजबूत करना था।
सभी को सालाना वैक्सीन की जरूरत नहीं
गौरतलब है कि जैसे-जैसे कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) कम हुई, विशेषज्ञों ने हर साल टीके की सिफारिशों को 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों तक सीमित कर दिया था, जिनके अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है। अब सालाना टीकाकरण को पूरी तरह से लोगों पर छोड़ दिया गया है।
सोमवार (6 अक्तूबर) को एक बयान में, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा उप सचिव जिम ओ’नील (Health and Human Services Deputy Secretary Jim O’Neill) ने कहते हैं, यह कहना कि कोरोना अब पूरी तरह से खत्म हो गया है, ये सही नहीं है हालांकि अब सभी लोगों को इसकी सालाना जरूरत भी नजर नहीं आती है। उच्च जोखिम समूह वालो लोग अपने डॉक्टर की सलाह पर टीकाकरण करा सकते हैं।
कोविड के टीके उतने प्रभावी नहीं
इससे पहले हाल ही में वैज्ञानिकों की टीम ने एक अध्ययन में खुलासा किया था कि कोविड के टीके असल में उतने प्रभावी नहीं हैं, जितना कि दावा किया जा रहा था। 50 प्रतिशत टीकों का असर तेजी से कम होता देखा गया है। जापानी वैज्ञानिकों के नए शोध से संकेत मिलता है कि फाइजर और मॉडर्ना द्वारा बनाए गए एमआरएनए टीकों (mRNA Vaccines) ने बेशक गंभीर बीमारियों को रोका, लेकिन प्रतिरक्षा सुरक्षा में उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से गिरावट आई है।
खतरनाक साइड इफेक्ट्स को लेकर है चर्चा
इससे इतर कोविड वैक्सीन्स (Covid Vaccine) को लेकर लंबे समय से सवाल भी खड़े होते रहे हैं। पहले कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में हृदय से संबंधित समस्याओं का जोखिम अधिक हो सकता है, हालांकि वैज्ञानिकों की एक अन्य टीम ने इन दावों को खारिज भी किया था।
एक हालिया रिपोर्ट में कोरियन वैज्ञानिकों ने अलर्ट किया है कि कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) कैंसर के खतरे को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वैक्सीन के प्रभावों पर लंबी अवधि की निगरानी जरूरी है। यह खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि टीकों ने इस जोखिम को क्यों बढ़ाया होगा?