HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. Danger : अगर टूटा टिहरी बांध तो 12 घंटे में डूब जाएंगे यूपी के ये जिले, सिर्फ 22 मिनट में हो जाएगी खाली झील

Danger : अगर टूटा टिहरी बांध तो 12 घंटे में डूब जाएंगे यूपी के ये जिले, सिर्फ 22 मिनट में हो जाएगी खाली झील

उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में आई आपदा के लिए जलविद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Projects) को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। माना जा रहा है कि टनल निर्माण से यहां की जमीन भीतर पूरी तरह खोखली हो गई थी। नतीजा ये है कि अब ये जगह-जगह दरकने लगी है। ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Projects) पर कई सवाल उठने लगे हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

पिथौरागढ़। उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में आई आपदा के लिए जलविद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Projects) को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। माना जा रहा है कि टनल निर्माण से यहां की जमीन भीतर पूरी तरह खोखली हो गई थी। नतीजा ये है कि अब ये जगह-जगह दरकने लगी है। ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Projects) पर कई सवाल उठने लगे हैं। जलविद्युत परियोजनों (Hydroelectric Projects) पर उठ रहे सवालों के बीच विश्व के सबसे बड़े बांधों में एक टिहरी बांध (Tehri dam) पर भी चर्चा तेज है, जिस टिहरी बांध (Tehri Dam) को 24 सौ मेगावॉट बिजली पैदा करने के लिए बनाया गया था।

पढ़ें :- झारखंड सरकार के मंत्रिमंडल में किस पार्टी के होंगे कितने मंत्री होंगे, जानें कब होगा शपथ ग्रहण?

वहां परियोजना बनने के 17 साल बाद मात्र हजार मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो रहा है। टिहरी बांध (Tehri Dam) को बनाने में जहां टिहरी शहर (Tehri City) को जलमग्न होना पड़ा, वहीं 37 गांव पूरी तरह डूब गए। यही नहीं अन्य 88 गांव भी आंशिक रूप प्रभावित हुए हैं। हालात ये हैं कि टिहरी बांध (Tehri Dam) बनने से 40 गांवों में हर समय खतरा मंडराया हुआ है। इन गांवों में अक्सर जमीन दरकने की घटनाएं होती रहतीं हैं। टिहरी बांध (Tehri Dam) में तीन चरणों में काम होना था।

पहले चरण में हजार मेगावॉट का टिहरी बांध निर्माण होना था, जबकि दूसरे चरण में 400 मेगावॉट का कोटेश्वर बांध (Koteshwar Dam) बनना था। जबकि अंत में हजार मेगावॉट की टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना बननी थी, लेकिन जिस योजना को बनाने में एक पूरी सभ्यता को डूबा दिया गया। वहां अभी भी लक्ष्य के मुताबिक बिजली उत्पादन नही हो रहा है। यही नहीं, माना जाता है कि अगर बड़ी तीव्रता का भूंकप आया तो डैम भी टूट सकता है।

अगर ऐसा हुआ तो तय है कि ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर तक का इलाका पूरी तरह जलमग्न हो जाएगा। अगर टिहरी बांध (Tehri Dam) टूटा तो मात्र एक घंटे में ऋषिकेश और हरिद्वार पूरी तरह पानी में डूब जाएंगे। जबकि 12 घंटे में टिहरी डैम (Tehri Dam) का पानी मेरठ तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा टिहरी बांध की 42 किलोमीटर लंबी झील को खाली होने में सिर्फ 22 मिनट का समय लगेगा।

पढ़ें :- कुंदरकी से आ रहे लोगों को सीतापुर में रोका गया, अखिलेश यादव बोले-इससे भाजपा के चुनावी घपले का भंडाफोड़ हो जाता
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...