गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने दिल्ली कार ब्लास्ट (Delhi Car Blast) के 20 घंटे बाद मामले की जांच NIA को सौंप दी है। ब्लास्ट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। इनमें 2 महिलाएं भी शामिल हैं। 20 घायलों का इलाज चल रहा है। दो शवों की पहचान हो गई है। बाकी की पहचान DNA टेस्ट से होगी।
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने दिल्ली कार ब्लास्ट (Delhi Car Blast) के 20 घंटे बाद मामले की जांच NIA को सौंप दी है। ब्लास्ट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। इनमें 2 महिलाएं भी शामिल हैं। 20 घायलों का इलाज चल रहा है। दो शवों की पहचान हो गई है। बाकी की पहचान DNA टेस्ट से होगी।
ब्लास्ट में जिस सफेद i20 कार का इस्तेमाल हुआ, उसका CCTV फुटेज मंगलवार को सामने आया। मेट्रो स्टेशन की पार्किंग से निकल रही कार में काला मास्क पहने एक शख्स बैठा दिखाई दिया। पुलिस के मुताबिक, कार में बैठे शख्स का नाम डॉ. मोहम्मद उमर नबी था। वह पुलवामा का रहने वाला है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उमर ने विस्फोटकों के साथ खुद को उड़ा लिया।
उसके DNA टेस्ट के लिए कश्मीर पुलिस (Kashmir Police) ने पुलवामा में उसकी मां और दो भाई को हिरासत में लिया है। पुलवामा से उसके दोस्त डॉ. सज्जाद और पिता को भी हिरासत में लिया गया है। न्यूज एजेंसी PTI ने बताया कि पुलिस को शुरुआती जांच से पता चला है कि विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी, बोले- कि यह जैश के मॉड्यूल के जरिए ISI की साजिश थी
दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि मुझे लगता है कि इन सभी डॉक्टरों (विस्फोटक जब्ती और विस्फोट मामले में गिरफ्तार/संदिग्ध) के मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद डॉ. उमर एक सुसाइड अटैकर बन गया। उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि उमर पुलवामा का रहने वाला है। उसने यह विस्फोट किया, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। मुझे लगता है कि यह जैश के मॉड्यूल के जरिए ISI की साजिश थी। वे कुछ करने के लिए बेताब थे क्योंकि 2014 के बाद वे भारत के अंदरूनी इलाकों में कोई बड़ी वारदात अंजाम नहीं दे पाए थे।
उन्होंने कहा कि यह साजिश एक दिन में नहीं रची गई। मुझे लगता है कि इसे कई महीनों में अंजाम दिया गया। कश्मीर घाटी में डॉक्टर बनना युवाओं का सबसे बड़ा सपना होता है। डॉक्टर बनने के बावजूद अगर आप कट्टरपंथी हो जाते हैं और अपने ही देशवासियों को मारने और अपने ही देश को तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो सोचिए कि किस तरह का कट्टरपंथ हो रहा है। देश को देखना होगा कि वह इस मोर्चे पर क्या कर रहा है। यह एक बड़ी चुनौती है और इस मोर्चे पर काम करने की ज़रूरत है।