संसद के मानसून सत्र में सोमवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली अध्यादेश से जुड़ा बिल पेश किया। कांग्रेस ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया है। इस विधेयक का नाम 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023' है, जो गुरुवार (3 अगस्त) को लोकसभा में पारित हो चुका है। इस बिल का विपक्ष पहले से ही विरोध कर रहा है।
Delhi Services Bill: संसद के मानसून सत्र में सोमवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली अध्यादेश से जुड़ा बिल पेश किया। कांग्रेस ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया है। इस विधेयक का नाम ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’ है, जो गुरुवार (3 अगस्त) को लोकसभा में पारित हो चुका है। इस बिल का विपक्ष पहले से ही विरोध कर रहा है।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (Congress leader Abhishek Manu Singhvi) ने कहा कि, ‘बीजेपी का दृष्टिकोण किसी भी तरह से नियंत्रण करने का है… यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है, यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है और यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर एक प्रत्यक्ष हमला है। यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंडों और विधानसभा आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, आखिर 1992 के बाद से कोई और सरकार इस तरह का विधेयक लेकर क्यों नहीं आई। भाजपा भी केंद्र में रही और कांग्रेस भी लेकर किसी ने संवैधानिक पीठ के फैसले को इस तरह ओवररूल नहीं किया। किसी सरकार ने दो नौकरशाहों को मुख्यमंत्री से ज्यादा ताकतवर क्यों नहीं बनाया। एलजी को किसी सरकार ने सुपर सीएम क्यों नहीं बनाया।
इस सरकार और इस विधेयक ने यह सब कर दिया जो पहले कभी नहीं किया गया। क्योंकि इनकी फितरत यही है। ये चुनावी हार को पचा नहीं पा रहे हैं इसलिए चुनी गई सरकार को किसी भी तरह नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बिल असंवैधानिक है। यह दिल्ली के लोगों की आवाज को दबाने वाला है। यह विधानसभा आधारित लोकतंत्र का उल्लंघन करता है।