1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. Demonetisation Verdict : नोटबंदी पर कोर्ट का ‘सुप्रीम फैसला’, जानें फैसले से जुड़ी 10 बातें

Demonetisation Verdict : नोटबंदी पर कोर्ट का ‘सुप्रीम फैसला’, जानें फैसले से जुड़ी 10 बातें

Demonetisation Verdict : मोदी सरकार (Modi Government) ने वर्ष 2016 में देश में लागू की गई नोटबंदी (Demonetisation) के फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सही ठहराया है। नोटबंदी (Demonetisation) को गतल और त्रुतिपुर्ण बताने वाली 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र के इस निर्णय में कुछ भी गलत नहीं था।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Demonetisation Verdict : मोदी सरकार (Modi Government) ने वर्ष 2016 में देश में लागू की गई नोटबंदी (Demonetisation) के फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सही ठहराया है। नोटबंदी (Demonetisation) को गतल और त्रुतिपुर्ण बताने वाली 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र के इस निर्णय में कुछ भी गलत नहीं था। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ये फैसला (RBI) की सहमति और गहन चर्चा के बाद लिया गया है। इस बीच कोर्ट ने इस फैसले में कई बड़ी टिप्पणियां भी की।

पढ़ें :- तेलंगाना के पूर्व सीएम के. चंद्रशेखर राव पर चुनाव आयोग ने की कार्रवाई, 48 घंटे नहीं कर पाएंगे चुनावी कैंपेन

जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता है। इससे पहले  संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल रहे।

RBI भारतीय अर्थव्यवस्था की दीवार: जस्टिस बीवी नागरत्ना

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि मैं साथी जजों से सहमत हूं लेकिन मेरे तर्क अलग हैं। मैं सभी 6 सवालों के अलग जवाब दिए हैं। मैंने आरबीआई के महत्व और उसके अधिनियम और देश की आर्थिक नीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की दीवार है। मैंने दुनिया भर में इस तरह की विमुद्रीकरण कवायद के इतिहास का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि हमें आर्थिक या वित्तीय निर्णय के गुण दोष नहीं निकालने हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले को सही ठहराया

पढ़ें :- राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी को लगाई कड़ी फटकार, कहा- कानून से ऊपर नहीं हैं

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है। सरकार की आर्थिक नीति होने के कारण निर्णय को पलटा नहीं जा सकता है।

नोटबंदी की प्रक्रिया में नहीं थी कोई कमी: SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी (Demonetisation)  से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी। इसलिए, उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है।

 

इस बीच फैसले में मतभेद भी दिखा, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत केंद्र की शक्तियों के बिंदु पर न्यायमूर्ति बी आर गवई के फैसले से अलग मत रखते हुए असहमति जताई।

पढ़ें :- Loksabha Election 2024: सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को फतेहपुर से बनाया प्रत्याशी, कल करेंगे नामांकन

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि नोटबंदी को संसद से एक अधिनियम के माध्यम से लानी चाहिए थी, न कि सरकार द्वारा।

कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि 8 नवंबर, 2016 को लाई गई नोटबंदी की अधिसूचना वैध थी और नोटों को बदलने के लिए दिया गया 52 दिनों का समय भी एकदम उचित था।

कोर्ट ने 2022 में 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बता दें कि नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने भी याचिका दायर की थी, याचिका में कहा गया था कि केंद्र का यह फैसला गलत और त्रुतिपुर्ण है।

नोटबंदी  को सरकार ने ‘सुविचारित’ निर्णय और नकली धन, आतंकवाद के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा बताया था।

सुनवाई के दौरान सरकार की बात रखते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा था कि नोटबंदी एक ऐसी आर्थिक नीति है जो कई बुराइयों को दूर करने के लिए बनाई गई।

पढ़ें :- ये मोहब्बत की दुकान लेकर निकले थे लेकिन इन्होंने फेक वीडियो का कारोबार खोल दिया...विपक्ष पर पीएम मोदी का निशाना

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...