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चुनावी नतीजे ने दिखा दिया है कि देश का संविधान और जनता सब पर भारी है…राज्यसभा में बोले मल्लिकार्जुन खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने आगे कहा, BJP संविधान बदलने की बात कह रही थी, इसलिए INDIA गठबंधन को संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी। जनता ने यह महसूस किया कि बाकी मु्द्दे आते-जाते रहेंगे, लेकिन जब संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र रहेगा। इसलिए इस लड़ाई में आम नागरिकों ने विपक्ष का साथ दिया और संविधान को बचाने का काम किया। अभी भी देश में सामाजिक न्याय के विपरीत मानसिकता वाले लोग मौजूद हैं। यह लड़ाई तभी पूरी होगी जब ऐसी विचारधारा को उखाड़ कर फेंक दिया जाएगा।

By शिव मौर्या 
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Parliament Session: सोमवार को फिरसे लोकसभा और राज्यसभा का सत्र शुरू हुआ। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, नीट और अग्निपथ जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा। इस दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा भी हुआ। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए राज्यसभा के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राष्ट्रपति संसद का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। अभिभाषण का कंटेट सरकारी होता है। सरकारी पक्ष को इसे विजन स्टेटमेंट बनाना था। चुनौतियों से कैसे निपटेंगे, ये बताना जरूरी था, लेकिन उसमें ऐसा कोई कंटेंट नहीं है। इस साल राष्ट्रपति जी का पहला अभिभाषण 31 जनवरी जो हुआ था और दूसरा अभिभाषण 27 जून को हुआ। पहला अभिभाषण चुनावी था और दूसरा भी वैसा ही है। इसमें न दिशा है, न कोई विजन है। हमें भरोसा था कि राष्ट्रपति जी संविधान और लोकतंत्र की चुनौतियों पर कुछ बातें जरूर रखेंगी। सबसे कमजोर तबकों को ठोस संदेश देंगी। लेकिन हमें घोर निराशा हुई कि इसमें गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं है। पिछली बार की तरह ये सिर्फ तारीफ का पुल बांधने वाला अभिभाषण है।

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इसके साथ ही उन्होंने राज्यसभा में कहा कि, मोदी सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने में माहिर है। यह सदी भारत की सदी है और आने वाला दौर भारत का है। इस बात से किसी को इनकार नहीं हो सकता है। लेकिन 10 साल का हमारा तजुरबा यह है कि, यह सब बातें सिर्फ भाषणों में ही रही है। इसका जमीन पर अमल नहीं हुआ है। संविधान ने हमें एडल्ट फ्रैंचाइज़ का अधिकार दिया, लेकिन इस बार चुनाव में मतदान 2019 के तुलना में काफी कम हुआ। चुनाव के दौरान ग्रामीण मतदाताओं ने अधिक उत्साह से भाग लिया, इसलिए मैं इनको धन्यवाद देता हूं। सभापति जी ने कहा था कि प्रजातंत्र में प्रजा ही मालिक और सर्वोपरि है और मैं इससे सहमत हूं।

मल्लिकार्जुन खरगे ने आगे कहा, BJP संविधान बदलने की बात कह रही थी, इसलिए INDIA गठबंधन को संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी। जनता ने यह महसूस किया कि बाकी मु्द्दे आते-जाते रहेंगे, लेकिन जब संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र रहेगा। इसलिए इस लड़ाई में आम नागरिकों ने विपक्ष का साथ दिया और संविधान को बचाने का काम किया। अभी भी देश में सामाजिक न्याय के विपरीत मानसिकता वाले लोग मौजूद हैं। यह लड़ाई तभी पूरी होगी जब ऐसी विचारधारा को उखाड़ कर फेंक दिया जाएगा। इस सत्र की खूबी यह है कि जनादेश के डर से सत्ता पक्ष भी संविधान की चर्चा कर रहा है, पर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें संसद में ‘जय संविधान’ के नारे से आपत्ति है। इसलिए सिर्फ संविधान को माथे पर लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके रास्ते पर चलकर दिखाना भी होगा।

साथ ही कहा, विपक्ष को सदन में अपनी बाते रखने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि BJP की सोच थी कि संसद में कोई विपक्ष न हो। अगर इनकी सोच ऐसी न होती तो 17वीं लोकसभा में पहली बार डिप्टी स्पीकर का पद खाली न होता। इसी सदन में प्रधानमंत्री ने कहा था-एक अकेला सब पर भारी। इसलिए मैं आज पूछना चाहता हूं-आज एक अकेले पर कितने लोग भारी हैं? चुनावी नतीजे ने दिखा दिया है कि देश का संविधान और जनता सब पर भारी है। लोकतंत्र में अहंकारी नारों की कोई जगह नहीं है।

 

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