डीएनएच और डीडी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DNH and DD Power Corporation Limited) में सहायक अभियंता के रूप में कार्यरत समीर किशोर कुमार पांड्या (Assistant Engineer Samir Kishore Kumar Pandya) के संदिग्ध भूमि सौदों और आय से अधिक संपत्ति, बेनामी लेनदेन, मिलीभगत से धोखाधड़ी और सरकारी पद के दुरुपयोग की ओर इशारा करने वाले सुबूतों के एक सरकारी कर्मचारी की कहानी नहीं है।
नई दिल्ली। डीएनएच और डीडी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DNH and DD Power Corporation Limited) में सहायक अभियंता के रूप में कार्यरत समीर किशोर कुमार पांड्या (Assistant Engineer Samir Kishore Kumar Pandya) के संदिग्ध भूमि सौदों और आय से अधिक संपत्ति, बेनामी लेनदेन, मिलीभगत से धोखाधड़ी और सरकारी पद के दुरुपयोग की ओर इशारा करने वाले सुबूतों के एक सरकारी कर्मचारी की कहानी नहीं है। यह उस व्यवस्था का आईना है जो अक्सर सार्वजनिक ज़िम्मेदारी वाले व्यक्तियों को चुपचाप अपनी आधिकारिक शक्ति को निजी साम्राज्यों में बदलने की अनुमति देती है।
समीर किशोर कुमार पंड्या की 1997 में विद्युत विभाग में हुई थी नियुक्ति
ज्ञात हो कि समीर किशोर कुमार पंड्या (Samir Kishore Kumar Pandya) 13 नवंबर 1997 को दमन और दीव विद्युत विभाग (Daman and Diu Electricity Department) में कनिष्ठ अभियंता के रूप में सरकारी सेवा में शामिल हुए। 8 मई 1972 को जन्मे, उनके करियर का पथ ऊपर से देखने पर एक सामान्य पथ पर ही चला: वरिष्ठता के माध्यम से पदोन्नति, जिसकी परिणति सहायक अभियंता के रूप में उनके वर्तमान पद पर हुई। कागज़ी तौर पर, उनका वेतन और वैध आय उन्हें एक मध्यमवर्गीय अधिकारी के दायरे में रखती है। फिर भी, जब कोई उनकी संपत्ति प्रोफ़ाइल की जांच करता है, तो एक चौंकाने वाला अंतर दिखाई देता है। संपत्ति, ज़मीन, कॉर्पोरेट साझेदारियां और वित्तीय लेन-देन करोड़ों में हैं, जो किसी भी कानूनी आय स्रोत से उचित नहीं ठहराए जा सकते।
परिजनों के नाम पर हैं कई बड़ी औद्योगिक इकाइयां
समीर पंड्या के निकटतम परिवार में उनकी पत्नी सुमिता समीर पंड्या, पुत्र वरुण और पुत्री इशानी शामिल हैं। साक्ष्य दर्शाते हैं कि सुमिता पंड्या संपत्ति और संपदा संचय में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं, और उनका नाम कंपनी साझेदारी और भूमि स्वामित्व अभिलेखों में बार-बार दिखाई देता है। पहला आर.के. पेट प्रोफाइल्स, जो भीमपुर, दमण में स्थित है, जहां सुमिता पंड्या, केतन पंड्या के साथ साझेदार हैं। दूसरा मैक्स एक्सट्रूज़न्स प्राइवेट लिमिटेड, सोमनाथ दमन, जहां वह दीपक प्रभुदास मिस्त्री के साथ साझेदार हैं। दोनों कंपनियां उच्च पूंजी कारोबार वाले क्षेत्रों में काम करती हैं।
35 करोड़ से अधिक कि संपत्ति का है मालिक
प्राप्त जानकारी और सत्यापित अभिलेखों के अनुसार, 2015 और 2020 के बीच, पांड्या परिवार ने कुल 7,793.64 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के 22 भूखंड अर्जित किए। इसके अतिरिक्त यदि बाकी तथा कुल संपत्ति का हिसाब लगाए तो 23657 वर्ग मीटर जमीन का पता चलता है जिसमे मक़ाम, प्लॉट, कंपनियां आदि शामिल है, वही यदि उक्त कुल संपत्ति का आज के समय में बाजार भाव से हिसाब किया जाए तो उक्त संपत्ति आज के हिसाब से 35 करोड़ से अधिक कि है। जो एक सहायक अभियंता की कमाई क्षमता से कहीं अधिक है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस आंकड़ों में संयंत्र और मशीनरी, स्टॉक, बैंक बैलेंस, सावधि जमा, डीमैट खाते, सोना, चांदी या अन्य चल संपत्तियां शामिल नहीं हैं।
सूत्रों की माने तो इसके अतिरिक्त भी कई अन्य फ्लैट, बंगले, कृषि भूमि और संपत्तियां भी हो सकती हैं। केवल इतना ही नहीं, कई संपत्तियां परिवार के सदस्यों, व्यावसायिक साझेदारों और संभवतः दूर के रिश्तेदारों के नाम पर भी पूर्व में हस्तांतरित भी की गई हो सकती हैं। ऐसा इस लिए क्योंकि समीर पांड्या और उनकी पत्नी दोनों दमन और दीव के मूल निवासी नहीं हैं, इसलिए इस बात का संदेह प्रबल है कि उनके मूल क्षेत्रों में माता-पिता, भाई-बहनों या सहयोगियों के नाम पर महत्वपूर्ण संपत्तियां हो सकती हैं ।
जांच एजेंसियों की पड़ी तो होगा भ्रष्टाचार के खेल का बड़ा खुलासा
छापेमारी के बाद ही यह भी पता चल पाएगा कि एक कनिष्ठ अभियंता अपने वेतन से अपने परिवार के भरण-पोषण, बच्चो कि पढ़ाई लिखाई जैसे आम खर्चों के बाद भी अपने परिवार को करोड़ों कि संपत्ति का मालिक बनाने में कैसे कामयाब हुआ। आम जनता अपनी सालों कि मेहनत और बचत के बाद एक प्लॉट नहीं ले सकती वही उक्त परिवार ने थोड़े ही समय में दर्जनों प्लॉट कैसे हासिल किए यह एक यक्ष प्रश्न है। आंकड़ों से परे, जनता के विश्वास का सिद्धांत निहित है। भ्रष्टाचार के ज़रिए गबन किया गया हर एक रुपया जनता से चोरी है। वे करदाता जो सरकारी वेतन देते हैं, वे नागरिक जो विश्वसनीय बिजली और बुनियादी ढांचे पर निर्भर हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी, जिसका काम महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की देखरेख करना है, के लिए अपने पद का इस्तेमाल निजी संपत्ति संचय में करना, राष्ट्र के साथ विश्वासघात से कम नहीं है।
अस्पष्टीकृत संपत्ति स्वयं भ्रष्टाचार है का सबूत
भारत में आय से अधिक संपत्ति (डीए) के मामलों में कई अधिकारियों को कई हाई-प्रोफाइल दोषी ठहराया गया है। हर मामले में, न्यायपालिका ने पुष्टि की है कि “अस्पष्टीकृत संपत्ति स्वयं भ्रष्टाचार का सबूत है। पांड्या मामला भी इसी श्रेणी का है एक अंतर के साथ यहां सबूत पहले से ही विस्तृत, समेकित और प्रस्तुत किए जा चुके हैं। अब बस त्वरित संस्थागत कार्रवाई बाकी है। उक्त मामले में यदि जल्द निर्णायक कार्रवाई न कि गई तो हो महत्वपूर्ण सबूतों का विनाश, बेनामी संपत्तियों का हस्तांतरण या बिक्री, नकद जमा राशि की निकासी, अभियुक्तों का फरार होना प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। वही कार्रवाई न करने से न केवल इस मामले को नुकसान होगा,बल्कि यह एक भयावह संदेश भी जाएगा कि शून्य सहनशीलता के राजनीतिक वादों के बावजूद भारत में भ्रष्टाचार अभी भी फल-फूल रहा है।
भ्रष्टाचार से लड़ने के भारत के संकल्प की है एक अग्निपरीक्षा
समीर किशोरकुमार पांड्या का मामला एक साधारण भ्रष्टाचार का मामला नहीं है। यह भ्रष्टाचार से लड़ने के भारत के संकल्प की एक अग्निपरीक्षा है। अगर मध्यम स्तर के अधिकारी बिना किसी रोक-टोक के करोड़ों की संपत्ति जमा कर सकते हैं, तो आम नागरिक इसे किस दृष्टिकोण से देखेगा यह तो स्वंय प्रशासन को सोचना चाहिए। इसलिए उक्त मामले में तत्काल सीबीआई, ईडी और सभी सतर्कता एजेंसियों को तत्परता, पारदर्शिता और दृढ़ता के साथ तत्काल कठोर से कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। इस मामले में न्याय में देरी, न्याय से इनकार नहीं, बल्कि न्याय का मज़ाक उड़ाना होगा। कुल मिलकर अंत में यह कह सकते है कि उक्त मामले में ऐसा कुछ हो, जो एक बार फिर साबित करें कि आज के भारत में, कोई भी अधिकारी कानून से बड़ा नहीं है। जल्द ही hindi.pardaphash.com यूपी के कुछ भ्रष्ट अभियंताओं के खेल का सुबूतों की साथ बड़ा खुलासा करेगा।