नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली राजनीतिक व्यवस्था को हिला देने वाले जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था। पद छोड़ने के बाद शनिवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए। 9 सितंबर को अपने इस्तीफे के बाद से सार्वजनिक रूप से नज़र नहीं आए थे। पद छोड़ने के बाद ओली को नेपाली सेना ने आश्रय दिया था। सीपीएन-यूएमएल पार्टी सचिवालय की एक बैठक के बाद उनकी पुनः उपस्थिति दर्ज कराई गई है, जिसकी पुष्टि पार्टी के उप महासचिव प्रदीप ग्यावली ने पहले ही कर दी थी।
नई दिल्ली। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली (CPN-UML Chairman KP Sharma Oli) राजनीतिक व्यवस्था को हिला देने वाले जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों (Gen-Z protests) के बाद प्रधानमंत्री का पद छोड़ दिया था। पद छोड़ने के बाद शनिवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए। 9 सितंबर को अपने इस्तीफे (resignations) के बाद से सार्वजनिक रूप से नज़र नहीं आए थे। पद छोड़ने के बाद ओली को नेपाली सेना ने आश्रय (Shelter) दिया था। सीपीएन-यूएमएल पार्टी सचिवालय (CPN-UML Party Secretariat) की एक बैठक के बाद उनकी पुनः उपस्थिति दर्ज कराई गई है, जिसकी पुष्टि पार्टी के उप महासचिव प्रदीप ग्यावली (Deputy General Secretary Pradeep Gyawali) ने पहले ही कर दी थी।
राजनीतिक सुर्खियों में अपनी वापसी का संकेत देते हुए ओली ने भक्तपुर में सीपीएन-यूएमएल की छात्र शाखा और राष्ट्रीय युवा संघ (National Youth Association) द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लिया। युवा-केंद्रित कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति को पार्टी के युवा आधार के साथ फिर से जुड़ने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जाता है। जिनमें से कई हालिया संकट के दौरान उनके नेतृत्व की कड़ी आलोचना कर रहे थे। ओली का फिर से उभरना राजनीतिक जवाबदेही, भ्रष्टाचार की समाप्ति और विवादास्पद सोशल मीडिया प्रतिबंध को हटाने की मांग करते हुए जेन जेड प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व में हिंसक राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों (violent nationwide demonstrations) के लगभग तीन सप्ताह बाद हुआ है। मुख्य रूप से छात्रों और युवा नागरिकों द्वारा संचालित विरोध प्रदर्शन, 2006 के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन (2006 pro-democracy movement) के बाद से नेपाल के सबसे खूनी दिन में तेजी से बढ़ गए। केवल आठ सितंबर को ही 30 वर्ष से कम उम्र के 21 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। वहीं घटना के अगले दिन 39 और मौतें और हो गई थी। वहीं प्रदर्शन के दौरान अगले दस दिनों में 14 और मौते हुई थी। अभी तक मरने वालों की संख्या 74 पहुंची चुकी है और कई लोग अभी भी गंभीर रूप से घायल है।
इस हिंसा के बाद ओली ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की (Former Chief Justice Sushila Karki) ने अंतरिम प्रधानमंत्री (interim prime minister) का पद संभाला। ओली ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के आदेश देने के आरोपों का सार्वजनिक रूप से खंडन किया, लेकिन अशांति से निपटने के तरीके को लेकर उनके प्रशासन की भारी आलोचना हुई है। आठ सितंबर के विद्रोह, जिसे अक्सर जेन जेड क्रांति के रूप में जाना जाता है की तुलना 2006 के उस आंदोलन से की जाती है जिसने राजा ज्ञानेंद्र (Raja Gyanendra) को उखाड़ फेंका और नेपाल की राजशाही को समाप्त कर उसे एक लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया। संसद भंग होने और अगले साल मार्च में चुनाव होने के साथ नेपाल अब एक अशांत राजनीतिक परिवर्तन का सामना कर रहा है। इस बीच, काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में प्रदर्शन जारी हैं। जेन जेड प्रदर्शनकारी राजनीतिक प्रतिष्ठान पर दबाव बनाए हुए हैं। राजनीतिक तनाव जारी रहने के बीच, ओली की उपस्थिति को पर्यवेक्षकों द्वारा अपनी पार्टी और राष्ट्रीय राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। भले ही जनता की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा हो।