गणेशोत्सव मनाने के लिए गणपति उपासकों की सक्रियता बढ़ गई। हर घर में गली कूचे में मंदिरों में और बड़े बड़े पंड़ालों में गणपति के आगमन की भव्य तैयारियां आरंभ हो गई है।
Ganesh Chaturthi 2025 : गणेशोत्सव मनाने के लिए गणपति उपासकों की सक्रियता बढ़ गई। हर घर में गली कूचे में मंदिरों में और बड़े बड़े पंड़ालों में गणपति के आगमन की भव्य तैयारियां आरंभ हो गई है। गलियाँ और घर सजाए जाते हैं, और लोग भक्ति और खुशी के साथ भगवान गणेश का स्वागत करते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश विघ्नों को दूर करते हैं और ज्ञान, सौभाग्य और नई शुरुआत लाते हैं, यही वजह है कि एकदन्त लोगों के लिए इतने महत्वपूर्ण हैं।
गणेश चतुर्थी 2025: गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा।
गणेश चतुर्थी 2025, 27 अगस्त 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी का समापन 6 सितंबर 2025, शनिवार को गणेश विसर्जन के साथ होगा। इस दिन, भगवान गणेश की मूर्तियों को भव्य जुलूसों के साथ नदियों, झीलों या समुद्र में विसर्जित किया जाएगा। इस दिन गणपति स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त रहेंगे। जानिए स्थापना का समय, पूजा विधि, मंत्र, उपाय और महत्व।
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – सुबह 11:05 से 01:40 तक, अवधि – 02 घंटे 34 मिनट
गणेश विसर्जन शनिवार, 6 सितंबर 2025 को
पिछले दिन (26 अगस्त) को, चंद्र दर्शन से बचने का समय – दोपहर 01:54 बजे से रात 08:29 बजे तक, अवधि – 06 घंटे 34 मिनट
बाईं ओर सूंड वाले गणेश जी
बाईं ओर सूंड वाली भगवान गणेश की मूर्ति, जिसे वाममुखी और वक्रतुंड गणेश भी कहा जाता है, सबसे ज्यादा लोग पसंद करते हैं। ये गणेश का सबसे आम और लोकप्रिय रूप माना जाता है। इस दिशा का संबंध उत्तर दिशा से है और इसे चंद्रमा की खास ऊर्जा से जोड़ा जाता है। चंद्रमा की यह ऊर्जा शांति, सुख-शांति और भौतिक समृद्धि को दर्शाती है। इसलिए, बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश को लक्ष्मी का वरदान देने वाला माना जाता है।
नृत्य मुद्रा वाले गणपति
अगर कोई कला या संगीत में रुचि रखता है, तो नृत्य मुद्रा में बैठे गणपति जी की स्थापना उनके लिए बहुत लाभकारी होती है। नृत्य करते हुए या वाद्य यंत्र बजाते हुए गणेशजी की मूर्ति की पूजा से घर में खुशियाँ आती हैं और कला की दुनिया में सफलता मिलती है। यह मूर्ति ऊर्जा और आनंद का प्रतीक होती है।