शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से शुरू हो रहा है। शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग और उल्लास की वृद्धि होती है। दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है। नवरात्रि में देवी की उपासना ही की जाती है। देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है। इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है।
गोण्डा। शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से शुरू हो रहा है। शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग और उल्लास की वृद्धि होती है। दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है। नवरात्रि में देवी की उपासना ही की जाती है। देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है। इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है। यूपी के गोण्डा जिले के सेमरी कला गांव के मध्य स्थित माँ विंध्यवासिनी मंदिर में बच्चों ने शारदीय नवरात्रि से एक दिन पहले शनिवार को मंदिर का साफ-सफाई कार्य किया। इस कार्य में बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था।
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यूपी के गोण्डा जिले के सेमरी कला गांव के मध्य स्थित माँ विंध्यवासिनी मंदिर में बच्चों ने शारदीय नवरात्रि से एक दिन पहले शनिवार को मंदिर का साफ-सफाई कार्य किया। इस कार्य में बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था। pic.twitter.com/8hXFrnsxIP— santosh singh (@SantoshGaharwar) October 14, 2023
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। जिसे नवदुर्गा का स्वरूप कहा जाता है। हर स्वरूप से विशेष तरह का आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होता है। साथ ही साथ आपके ग्रहों की दिक्कतों का समापन भी होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा और दसवें दिन दशहरा मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा।
घटस्थापना तिथि- रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक ।
इस वर्ष मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं ऐसे में इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि, इससे सर्वत्र सुख-संपन्नता बढ़ेगी। इसके साथ ही देश भर में शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में सफलता मिलेगी यानी कि पूरे देश के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होने वाली हैं। सप्त धान्य (7 तरह के अनाज), मिट्टी का एक बर्तन, मिट्टी, कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल), पत्ते (आम या अशोक के), सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, पुष्प।