हिंदू धर्म में चैत्र महीना बहुत पुनीत माना जाता है। इस माह की शुरूआत हिंदू नवर्ष और मां आदिशक्ति की पूजा से होता है।
Guru Pradosh Vrat 2025 : हिंदू धर्म में चैत्र महीना बहुत पुनीत माना जाता है। इस माह की शुरूआत हिंदू नवर्ष और मां आदिशक्ति की पूजा से होता है। वर्ष का पहला महीना जगत जननी देवी मां दुर्गा को समर्पित है। इस माह में चैत्र नवरात्र आता है और नौ दिनों तक मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। हर माह के त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार को होने के कारण गुरु प्रदोष व्रत है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखकर विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आइए जानते हैं कब है गुरु प्रदोष व्रत
तिथि
चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 मार्च बुधवार को देर रात 1 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी और 27 मार्च गुरुवार को देर रात 11 बजकर मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। इसके लिए 27 मार्च गुरुवार को चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त
27 मार्च गुरुवार को प्रदोष काल शाम 6 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 56 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा एवं अर्चना की जा सकती है।
मंत्रों का जाप करें
देवी पार्वती की पूजा करते समय निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें।
“ॐ श्री महादेवायै नमः”
“ॐ श्री पार्वती देवयै नमः”
प्रदोष उपवास के नियम
व्रती तामसिक चीजों का सेवन न करें।
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें।
भगवान शिव की पूजा विधि अनुसार करें।
इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
व्रती नमक का सेवन न करें।
किसी के बारे में गलत विचार मन में न लाएं।
व्रत में सिर्फ फल और जल का ही सेवन करें।
पूजा के अंत में देवी पार्वती की आरती गाएं।