Gyanvapi Case: वाराणसी का ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस रामजन्मभूमि विवाद और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद की तरह देश के चर्चित मुकदमों में शुमार है, जिसमें दो समुदाय आमने-सामने हैं। अदालत में दोनों पक्षों (हिंदू-मुस्लिम) के दावे पर सुनवाई जारी है। इन सबके बीच हिंदू पक्ष में घमासान मचा हुआ है। मामले की वादिनी राखी सिंह ने बीते दिनों गंभीर आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग कर सनसनी मचा दी थी। शुक्रवार तक का उन्होंने अल्टीमेटम दिया था।
Gyanvapi Case: वाराणसी का ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस रामजन्मभूमि विवाद और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद की तरह देश के चर्चित मुकदमों में शुमार है, जिसमें दो समुदाय आमने-सामने हैं। अदालत में दोनों पक्षों (हिंदू-मुस्लिम) के दावे पर सुनवाई जारी है। इन सबके बीच हिंदू पक्ष में घमासान मचा हुआ है। मामले की वादिनी राखी सिंह ने बीते दिनों गंभीर आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग कर सनसनी मचा दी थी। शुक्रवार तक का उन्होंने अल्टीमेटम दिया था।
मगर इससे पहले सीन में उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के पिता की एंट्री हो गई। गुरूवार को दिल्ली में राजा भैया के पिता और भदरी राजपरिवार के प्रमुख उदय़ प्रताप सिंह की राखी सिंह से मुलाकात हुई। दोनों की मुलाकात में तय हुआ कि ज्ञानवापी से जुड़े मुकदमों की कमान अब वह खुद संभालेंगे। इसके अलावा देश के अन्य राजपरिवारों से भी इस मामले में समर्थन जुटाएंगे।
राखी सिंह ने बदला अपना निर्णय
राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छा मृत्यु मांगने वाली राखी सिंह ने उदय प्रताप सिंह के समझाने पर अपना निर्णय बदल लिया है। राखी के चाचा और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने इसकी पुष्टि की है। गौरतलब है कि बुधावर को ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस की अहम वादिनी राखी सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ओपन लेटर लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी। खत में उन्होंने लिखा था, 9 जून की सुबह 9 बजे तक आपके जवाब का इंतजार करूंगी। अगर आपने उत्तर नहीं दिया, तो मैं किसी भी निर्णय़ की जिम्मेदार खुद ही रहेगी।
राखी सिंह ने अपने खत में साथी चार महिला याचिकाकर्ताओं लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, रेखा पाठक, सीता सिंह, अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन समेत समेत अन्य लोगों पर उनके और उनके परिवार के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस काम में शासन-प्रशासन के भी कुछ लोग लिप्त हैं। रेखा सिंह द्वारा इस खत के जारी करने से कुछ दिन पहले उनके चाचा और ज्ञानवापी मामले के मुख्य पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन ने भी सभी मुकदमों से खुद को अलग करने की बात कही थी।
उन्होंने कहा था कि मेरा परिवार उन सभी मुकदमों से अपने आप को हटा रहा है, जो मुकदमे देश और धर्म के हित में विभिन्न न्यायालयों में दायर किए थे। जानकारी के मुताबिक, ऐसे मुकदमों की संख्या 171 है। हालांकि, राजा भैया के पिता और भदरी रियासत के प्रमुख उदय प्रताप सिंह के प्रमुख के आश्वासन के बाद परिवार ने अपना फैसला बदल लिया है। बकौल जितेंद्र सिंह बिसेन उनकी भतीजी रेखा सिंह अब और मजबूती से सनातन धर्म के लिए लड़ेंगी।