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Hanuman ji ने की थी इतिहास में सबसे पहली सर्जिकल स्ट्राइक, रामायण में हो चुका वर्णन

ऐसा बताया जाता है कि रामायण त्रेतायुग में हुई थी. इसका मतलब है कि आज से लाखों वर्ष पहले रामायण का काल था. उस समय कितनी सभ्यता थी और कहाँ सभ्यता थी इसका अनुमान लगाना काफी मुश्किल है. त्रेतायुग के बाद द्वापरयुग आया है, जिसमें महाभारत होने के अंश हम सबको मिलते हैं.

By आराधना शर्मा 
Updated Date

Bada Mangal Special: ऐसा बताया जाता है कि रामायण त्रेतायुग (Ramayana Tretayug) में हुई थी. इसका मतलब है कि आज से लाखों वर्ष पहले रामायण का काल था. उस समय कितनी सभ्यता थी और कहां सभ्यता थी इसका अनुमान लगाना काफी मुश्किल है. त्रेतायुग (Tretayug) के बाद द्वापरयुग (Dwapara Yuga) आया है, जिसमें महाभारत होने के अंश हम सबको मिलते हैं.

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कई ज्ञानी लोग बताते हैं कि भारतवर्ष पर हर युग में हमले हुए हैं क्योकि यह देश हमेशा से ही दुश्मनों के निशाने पर रहा है. तो इसी तरह से हमारा इतिहास यह भी बताता है कि दुनिया का सबसे पहला सर्जिकल स्ट्राइक रामायण (First Surgical Strike Ramayan) में ही हुआ है. हो सकता है कि और भी सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) हुए हों किन्तु अभी तक तो उसकी जानकारी हमारे पास नहीं है. तो आइये आज हम आपको बताते हैं रामायण की सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में…

रामायण की सर्जिकल स्ट्राइक 

लंका जाने के लिए सभी चिंतित थे और तभी

कहइ रीछपति सुनु हनुमाना,

का चुप साधि रहयो बलवाना।।

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पवन तनय बल पवन समाना,

बुधि विवेक विष्यान निधाना।।

कवन सो काज कठिन जगमाही,

जो नहि होइ तात तुम्हपाही।।

राम काज लगि तव अवतारा,

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सुनतहि भयउ पर्वता कारा।।

अर्थात- जामवंत ने कहा कि हे हनुमान जी सुनो, तुम कैसे चुप चाप बैठे हो. तुम तो पवन के समान चलने वाले हो पवन पुत्र हो. तुम्हारे पास तो बुद्धी, विवेक, और विज्ञान की खान है. जगत में ऐसा कौन सा कार्य है जिसे तुम नही कर सकते और फिर तुम्हारा तो जन्म ही भगवान श्री राम के कार्य हेतु हुआ है. उसी समय उनको अपने बल का स्मरण हो गया और वह सुनते ही अत्यन्त विशाल आकार के हो गये और भयंकर गर्जना करने लगे. और तब हनुमान, माता सीता की खोज के लिए श्रीलंका गये थे.

इतिहास में सबसे पहला सर्जिकल स्ट्राइक 

वैसे इससे पहले के इतिहास में विश्व में कई लोग अपनी धरती छोड़कर किसी और की धरती पर गये होंगे किन्तु जब रावण के द्वारा हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई गयी थी तो उसके बाद हनुमान ने अपने देश की सीमा के बाहर जाकर विरोधी देश पर अकेले हमला किया था. हनुमान ने पूरी लंका को जलाकर राख कर दिया था. वैसे कुछ लोगों को लगेगा कि नहीं यह इतिहास का पहला सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हो सकता है. तो चलिए उनको भी खुश कर देते हैं किन्तु यह एक ‘अकेले व्यक्ति’ द्वारा किया गया उस समय का पहला और शायद आज का भी पहला सर्जिकल स्ट्राइक होगा.

तो रामायण की सर्जिकल स्ट्राइक ही हो सकती है दुनिया की सबे पहली सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike). इस ऐतिहासिक रामायण की सर्जिकल स्ट्राइक (surgical strike of ramayana) को भारतीय इतिहास में जरुर विशेष जगह मिलनी चाहिए.

यह विषय वाकई शोध है कि क्या सर्जिकल स्ट्राइक जैसी चीज भारत ने विश्व को दी है. वैसे हनुमान ने अकेले जिस ताकत और शौर्य का परिचय देते हुए रामायण की सर्जिकल स्ट्राइक को पडोशी देश लंका में अंजाम दिया था, जो काबिले तारीफ था और है.

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