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Hindu Nav Varsh 2024 : हिंदू नववर्ष को बहुत उत्साह के साथ मनाते है, लोग अपने घरों को सजाते है

इस बार हिंदू नववर्ष 09 अप्रैल 2024 से शुरू हो रहा है। विक्रम संवत 2081 का शुभारंभ हो रहा है।ज्योतिषियों की मानें तो हिंदू नववर्ष बेहद महत्वपूर्ण होता है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Hindu Nav Varsh 2024: इस बार हिंदू नववर्ष 09 अप्रैल 2024 से शुरू हो रहा है। विक्रम संवत 2081 का शुभारंभ हो रहा है।ज्योतिषियों की मानें तो हिंदू नववर्ष बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस साल के राजा-मंत्री में शत्रुता रहेगी, इसलिए ये साल कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हिंदू नववर्ष को हिंदुओं का नया साल कहा जाता है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादी, वैषाखादि, बैसाखी और नवरोज जैसे नामों से भी जाना जाता है। हिंदू नववर्ष पर कई शुभ योग बन रहे हैं।

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हिंदू नववर्ष के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग  बन रहे हैं। इस दिन रेवती और अश्विनी नक्षत्र भी रहेंगे। ये दोनों योग 9 अप्रैल को सुबह 07:32 से अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05:06 बजे तक रहेंगे।

इस तिथि पर आदि शक्ति प्रकट हुई थीं
ब्रह्मांण पुराण के इस श्लोक के अनुसार, भगवान विष्णु (vishnu) ने सृष्टि की रचना का कार्य ब्रह्मा जी को सौंपा था। मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी, उस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी। साथ ही इसी तिथि पर धार्मिक कार्य करने का भी विशेष महत्व है। क्योंकि इसी  तिथि से चैत्र नवरात्र की भी शुरुआत होती है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर आदि शक्ति प्रकट हुई थी।

गुड़ी पड़वा मराठी नव वर्ष है
हिंदू नववर्ष को लोग बहुत उत्साह के साथ मनाते है। इस दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। इस दिन सुबह उठते ही घर में पूरा भक्ति में माहौल रहता है और दिन की शुरुआत पूजा-पाठ से होती है। गुड़ी पड़वा मराठी नव वर्ष है और इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू नव वर्ष या गुड़ी पड़वा फसल के मौसम की शुरुआत का भी पर्याय माना जाता है। गुड़ी पड़वा सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत का प्रतीक है।

पर्यावरण पूरी प्रकृति नए स्वरूप में निखर रही होती है
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हिंदू नव संवत्सर  नए वर्ष की तरह प्रतीत होता है।इस समय पूरा पर्यावरण पूरी प्रकृति नए स्वरूप में निखर रही होती है। सही मायने में कहें तो यह वही समय होता है जब पतझड़ के बाद पेड़ पौधे बसंत ऋतु में प्रवेश कर रहे होते हैं और उनके सूखे पत्तों की जगह नए-नए हरे-भरे पत्ते उग रहे होते हैं।

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