सनातन धर्म में पवित्र तुलसी को पूज्यनीय माना जाता है। अध्यात्मिक उन्नित के लिए और सांसारिक उत्कर्ष में पवित्र तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है।
Holy tulsi mala : सनातन धर्म में पवित्र तुलसी को पूज्यनीय माना जाता है। अध्यात्मिक उन्नित के लिए और सांसारिक उत्कर्ष में पवित्र तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। अलौकिक गुणों से युक्त पवित्र तुलसी के बारे में आयुर्वेद में विशेष रूप से उल्लेखित है। हमारे पुराणों में देवी तुलसी का बहुत अधिक महत्व है। जो व्यक्ति तुलसी माला गले में नहीं पहनते उनको पद्मपुराण में ब्रह्मराक्षस कहा गया है। तुलसी माला धारण करने वाले को कभी भी कोई पाप स्पर्श नहीं कर सकता। यमदूत कभी उसके पास नहीं आ सकते। ये सब गरुणपुराण में लिखा है।
तुलसीकाष्ठमालास्तु प्रेतराजस्य दूतका:।
दृष्ट्वा नश्यन्ति दूरेण वातोध्दूतं यथा दलं।।
तुलसीकाष्ठमालाभिरभूषितो भ्रमते यदि।
दु:स्वप्नम दुर्निमित्तंच न भयं शस्त्रजम क्वचित।
यम के दूत तुलसी की माला को देखकर दूर से वैसे ही भाग जाते हैं जैसे वायु के प्रवाह में सूखे पत्ते इधर उधर उड़ जाते हैं। तुलसी की माला गले में पहनकर भ्रमण करने पर कहीं पर भी दु:स्वप्न, दुर्घटना और शंकाजनित भय नहीं रहता है।
तुलसीकाष्ठसंभूता यो मालां वहते नर:।
प्रायश्चितम न तस्यास्ति नाशौचम तस्य विग्रहे।।
जो लोग तुलसी माला धारण करते हैं उनको प्रायश्चित करने की जरुरत नहीं है। उनके शरीर को अशौच भी नहीं लगता। तुलसी माला पहनकर जो व्यक्ति कोई भी पुण्यक्रिया एवं पितरों का कर्म करते हैं। तो उन्हें करोणों गुना फल मिलता है। अगस्त्यसंहिता में कहा गया है कि जो व्यक्ति तुलसी माला पहनकर भगवान वासुदेव की पूजा करते हैं उन्हें अनन्त फल प्राप्त होते हैं।
स्कन्दपुराण में कहा गया है कि जिनके गले में तुलसीमाला है वो निश्चय ही हरि भक्त हैं।
नारदीय पुराण में बताया है कि जिन लोगो के कण्ठदेश में तुलसी माला होती है वे वैष्णव भक्त लोग जगत को पवित्र करते हैं।
इसलिए तुलसी माला कंठी धारण करने वाले कृष्ण भक्तों को कभी मांस , मदिरा, प्याज़, लहसुन आदि का सेवन नही करना चाहिए।
महामंत्र प्रतिदिन जपते रहें
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे