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World Homeopathy Day 2022 : होम्योपैथी के जनक की मनी जयंती,कोरोना कॉल में दिया बेहतर रिजल्ट

World Homeopathy Day 2022: होम्योपैथी के जनक जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमेन की 267 वीं जयंती सोमवार को यूपी की राजधानी स्थित नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल लखनऊ मनाई गई। डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन (Dr.Christian Friedrich Samuel Hahnemann) को ही होम्योपैथी के उपयोग के जरिए स्वस्थ होने का तरीका खोजने का श्रेय जाता है। प्रत्येक वर्ष इस दिवस को एक खास थीम के तहत सेलिब्रेट किया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘होम्योपैथी: पीपल्स च्वॉएस फॉर वेलनेस’ (Homeopathy: People’s Choice for Wellness) रखी गई है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

World Homeopathy Day 2022: होम्योपैथी के जनक जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमेन की 267 वीं जयंती सोमवार को यूपी की राजधानी स्थित नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल लखनऊ मनाई गई। डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन (Dr.Christian Friedrich Samuel Hahnemann) को ही होम्योपैथी के उपयोग के जरिए स्वस्थ होने का तरीका खोजने का श्रेय जाता है। प्रत्येक वर्ष इस दिवस को एक खास थीम के तहत सेलिब्रेट किया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘होम्योपैथी: पीपल्स च्वॉएस फॉर वेलनेस’ (Homeopathy: People’s Choice for Wellness) रखी गई है।

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बता दें कि ‘वर्ल्ड होम्योपैथी डे’ इसलिए मनाया जाता है, ताकि लोग होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के बारे में जानें, उसके फायदे क्या हैं, उससे अवगत हों, लोगों में इसके प्रति जागरूकता आए। कोरोना काल के बाद काफी लोगों का झुकाव होम्योपैथी के प्रति पहले से काफी बढ़ा है।

आइए बताते हैं होम्योपैथी फायदे के बारे में

इस अवसर पर नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल लखनऊ के प्राचार्य डॉ. अरविंद वर्मा ने कहा कि होम्योपैथी के बारे में लोगों की जागरूकता पहले से काफी बढ़ रही है। कोरोना के बाद तो होम्योपैथी के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा है। ऐसा इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि कोविड के दौरान और इससे उबरने के बाद होम्योपैथी के पॉजिटिव असर के बारे में लोगों को पता चला है। इसमें साइड एफेक्ट्स नहीं होते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात जो ध्यान रखनी चाहिए, वह है कम मेडिसिन के साथ बेहतर इलाज करना।

क्या एलोपैथी के साथ ले सकते हैं होम्योपैथी?
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार कहते हैं, बिल्कुल, एलोपैथी के साथ होम्योपैथिक दवाओं का सेवन किया जा सकता है। ऐलोपैथी के तीन ग्रुप ऑफ मेडिसिन स्टेरॉएड, हॉर्मोन और एंटीबायोटिक्स होम्योपैथी के साथ नहीं चलता है। इनके अलावा कोई भी एलोपैथी मेडिसिन होम्योपैथिक दवाओं के साथ ली जा सकती है। यदि किसी को हार्ट डिजीज है या हाइपरटेंशन है, तो उसकी एलोपैथिक दवाएं नहीं बंद की जा सकती हैं, लेकिन होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लेने में कोई नुकसान भी नहीं होता है।

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होम्योपैथिक दवाएं एमरजेंसी कंडीशन को छोड़ हर बीमारी में है उपयुक्त

असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि होम्योपैथिक दवाएं किसी भी बीमारी की एमरजेंसी कंडीशन को छोड़कर हर तरह की बीमारियों के लिए उपयुक्त है। चाहे कोई क्रोनिक डिजीज हो, बच्चों से संबंधित कोई समस्या हो, स्किन रोग हो, इसमें होम्योपैथी का जवाब नहीं।

होम्योपैथी की दवाएं बहुत सेंसेटिव होती हैं: डॉ. जितेंद्र कुमार

असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार ने बतााया कि होम्योपैथी की दवाएं बहुत सेंसेटिव होती हैं, ऐसे में दवाएं लेने के साथ डॉक्टर जिन चीजों से परहेज करने के लिए कहते हैं, उसे उसी अनुसार फॉलो करना चाहिए। जिस समय पर जितनी दवाइयां लेने को कहते हैं, उसी समय ली जानी चाहिए। अगर ऐसा न किया जाए, तो फायदा नहीं होगा। इन दवाइयों के रख-रखाव का खास ध्यान देना चाहिए। इन्हें सेंट, पाउडर, धूप या हवा में खुले नहीं रख सकते हैं।

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गंभीर रोग का इलाज कितना कारगर है होम्योपैथी?

डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि यदि शुरुआती स्टेज में कोई बीमारी सामने आए। एक होम्योपैथी डॉक्टर उसका सही तरीके से इलाज करे, तो उसके ठीक होने की संभावना काफी अधिक होती है। हाइपरटेंशन, थायरॉएड, ल्युकोडर्मा, स्किन रोग, हार्ट संबंधित समस्या, बच्चों के रोग, जोड़ों की समस्या, किडनी रोग से संबंधित मरीज अगर शुरुआती स्टेज में होम्योपैथी से इलाज कराए, तो सौ प्रतिशत रोग ठीक हो सकता है।

इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरविंद वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार,डॉ. अमित नायक,डॉ.एसएस पॉल,डॉ. एके सिंह,डॉ.राजेश गौतम,डॉ.महेश यादव व डॉ.राज कुमार जायसवाल सहित भारी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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