सोनिया गांधी ने अपने पत्र में लिखा कि, मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है। वह रायबरेली आकर आप लोगों में मिलकर पूरा होता है। यह नेह-नाता बहुत पुराना है और अपनी ससुराल से मुझे सौभाग्य की तरह मिला है। रायबरेली के साथ हमारे परिवार के रिश्तों की जड़ें बहुत गहरी हैं। आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में आपने मेरे ससुर फीरोज गांधी जी को यहां से जिताकर दिल्ली भेजा। उनके बाद मेरी सास इंदिरा गांधी जी को आपने अपना बना लिया।
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से नामांकन दाखिल करने के एक दिन बाद रायबरेली की जनता को एक भावुक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए अगला चुनाव न लड़ने की बात कही है। हालांकि, रायबरेली से गहरा रिश्ता बताते हुए आगे भी परिवार को संभालने की अपील की है।
सोनिया गांधी ने अपने पत्र में लिखा कि, मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है। वह रायबरेली आकर आप लोगों में मिलकर पूरा होता है। यह नेह-नाता बहुत पुराना है और अपनी ससुराल से मुझे सौभाग्य की तरह मिला है। रायबरेली के साथ हमारे परिवार के रिश्तों की जड़ें बहुत गहरी हैं। आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में आपने मेरे ससुर फीरोज गांधी जी को यहां से जिताकर दिल्ली भेजा। उनके बाद मेरी सास इंदिरा गांधी जी को आपने अपना बना लिया। तब से अब तक, यह सिलसिला जिंदगी के उतार-चढ़ाव और मुश्किल भरी राह पर प्यार और जोश के साथ आगे बढ़ता गया और इस पर हमारी आस्था मजबूत होती चली गई।
CPP चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी जी का रायबरेली की जनता के नाम संदेश- pic.twitter.com/6zlJkWjwvi
— Congress (@INCIndia) February 15, 2024
इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि, इसी रौशन रास्ते पर आपने मुझे भी चलने की जगह दी। सास और जीवनसाथी को हमेशा के लिये खोकर मैं आपके पास आई और आपने अपना आंचल मेरे लिये फैला दिया। पिछले दो चुनावों में विषम परिस्थितियों में भी आप एक चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे, मैं यह कभी भूल नहीं सकती। यह कहते हुए मुझे गर्व है कि आज मैं जो कुछ भी हूं, आपकी बदौलत हूं और मैंने इस भरोसे को निभाने की हरदम कोशिश की है।
अब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगी। इस निर्णय के बाद मुझे आपकी सीधी सेवा का अवसर नहीं मिलेगा, लेकिन यह तय है कि मेरा मन-प्राण हमेशा आपके पास रहेगा। मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे जैसे अब तक संभालते आये हैं। बड़ों को प्रणाम! छोटों को स्नेह! जल्द मिलने का वादा।