भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों को नियमित रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ता है। हाल ही में नस्ली भेदभाव वाली घटनाओं के बाद किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। जोंस हापकिंस और पेंसिंलवेनिया विश्वविद्यालय के सहयोग से कराए गए एक सर्वे में यह बात निकलकर आई है।
नई दिल्ली। भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों को नियमित रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ता है। हाल ही में नस्ली भेदभाव वाली घटनाओं के बाद किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। जोंस हापकिंस और पेंसिंलवेनिया विश्वविद्यालय के सहयोग से कराए गए एक सर्वे में यह बात निकलकर आई है।
यह आनलाइन सर्वे 1200 भारतीय-अमेरिकी नागरिकों के बीच किया गया। सर्वे के अनुसार पिछले एक साल में हर दो भारतीय-अमेरिकी नागरिकों में से एक के साथ भेदभाव किए जाने की जानकारी मिली है। हर रोज की गतिविधियों में भारतीय इस भेदभाव का शिकार होते हैं।
त्वचा का रंग ही सबसे बड़ा भेदभाव का कारण है। ऐसे लोगों की भी भेदभाव की रिपोर्ट मिली हैं, जो अमेरिका में ही पैदा हुए हैं। भारतीय-अमेरिकी नागरिकों की अपने ही समुदाय में विवाह करने की भी दर ऊंची रहती है।
यानी ये अपने ही समुदाय में शादी करना पसंद करते हैं। भारतीय-अमेरिकी नागरिकों की संख्या अमेरिका की कुल आबादी का 1 फीसद से कुछ अधिक है। 2018 के आंकड़ों के अनुसार यहां 42 लाख से ज्यादा भारतीय हैं।