अपर जिला जज ने वार्ड- 51 के निकाय चुनाव को शून्य घोषित कर दिया गया है। इस कारण वहां के पार्षद सुधीर यादव की पार्षदी ख्त्म हो गई है। सुधीर ने अपने अपने चुनावी शपथ पत्र में जेल जाने और पत्नी की हत्या का मुकदमा छिपाया था। कानपुर में मई 2023 में निकाया चुनाव हुए थे। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुधीर लड़े थे और अजय शर्मा को हराया था। चुनाव जीतने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे। अजय शर्मा ने 2023 में उनके खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
कानपुर। अपर जिला जज ने वार्ड- 51 के निकाय चुनाव को शून्य घोषित कर दिया गया है। इस कारण वहां के पार्षद सुधीर यादव की पार्षदी ख्त्म हो गई है। सुधीर ने अपने अपने चुनावी शपथ पत्र में जेल जाने और पत्नी की हत्या का मुकदमा छिपाया था। कानपुर में मई 2023 में निकाया चुनाव हुए थे। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुधीर लड़े थे और अजय शर्मा को हराया था। चुनाव जीतने के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे। अजय शर्मा ने 2023 में उनके खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में सुधीर यादव पर आरोप था कि वर्ष 2014 में पत्नी की हत्या का गंभीर आरोप लगा था। वर्ष 2012 में घर में घुसकर मारपीट और 2015 के गाली-गलौज और धमकाने के दो मुकदमे दर्ज हुए थे और वह जेल भी जा चुके है।
अधिवक्ता राघव पांडेय ने बताया कि सुधीर यादव ने नामांकन के समय चुनाव आयोग को जो शपथ पत्र दिया गया। उसमें इन पत्नी की हत्या, घर में घुस कर मारपीट और गाली- गलौज कर धमकाने के मुकदमों को जिक्र नहीं किया गया था। साथ ही उन पर मतदाता सूची में भी गड़बड़ी के आरोप लगे थे। इसके तहत लगभग 400 मतदाताओं के नाम वार्ड 51 के साथ ही साथ वार्ड 77 की सूची में भी शामिल थे। हालांकि इस बात को न्यायालय में साबित नहीं किया जा सका। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद माना कि सुधीर यादव ने चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी थी और मतदाताओं से तथ्यों को छिपाया। इस आधार पर सुधीर के निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया गया। आदेश की एक कॉपी जिलाधिकारी को मेल के जरिए भेज दी गई है। वहीं सुधीर यादव का कहना है कि शपथ पत्र में भूलवश पत्नी की हत्या की जानकारी नहीं दी थी। अदालत के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे।