समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple of Varanasi) में पुजारियों की पोशाक में पुलिसकर्मियों को तैनाती पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने उस अधिकारी को निलंबित करने की मांग की जिसने मंदिर में पुजारियों की पोशाक में पुलिसकर्मी तैनात करने का आदेश दिया है।
वाराणसी। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple of Varanasi) में पुजारियों की पोशाक में पुलिसकर्मियों को तैनाती पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने उस अधिकारी को निलंबित करने की मांग की जिसने मंदिर में पुजारियों की पोशाक में पुलिसकर्मी तैनात करने का आदेश दिया है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस कृत्य को निंदनीय बताया है।
मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल (Varanasi Police Commissioner Mohit Aggarwal) के आदेश पर मंदिर में पुजारी की पोशाक में पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। जहां पुरुष पुलिसकर्मी धोती-कुर्ता पहने हुए हैं, वहीं महिला पुलिसकर्मी सलवार कुर्ता पहने हुए हैं। इस प्रणाली पर सवाल उठाते हुए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सरकार और प्रशासन पर निशाना साधा है।
पुजारी के वेश में पुलिसकर्मियों का होना किस ‘पुलिस मैन्युअल’ के हिसाब से सही है? इस तरह का आदेश देनेवालों को निलंबित किया जाए। कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उप्र शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा।
निंदनीय! pic.twitter.com/BQUFmb7xAA
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 11, 2024
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अखिलेश यादव ने उठाया सवाल
अखिलेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म’एक्स’ पर लिखा कि ‘पुजारी के वेश में पुलिसकर्मियों का होना किस ‘पुलिस मैन्युअल’ के हिसाब से सही है? इस तरह का आदेश देने वालों को निलंबित किया जाए। कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उत्तर प्रदेश शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा। निंदनीय है ये।
वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट का फैसला
बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड तोड़ बढ़ती जा रही है। इसको लेकर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। जिसके तहत काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) के गर्भगृह में पुलिसकर्मियों की ड्रेस पुजारियों की तरह ही होगी। यहां तैनात सुरक्षाकर्मी गले में रुद्राक्ष, माथे पर त्रिपुंड और गेरुआ वेशभूषा में दिखाई देंगे।
पुलिस के मुताबिक, जिस तरह मंदिर में पुलिसकर्मी तैनात होते हैं, इससे दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को धक्का-मुक्की का भी सामना करना पड़ा रहा था। साथ ही उनके साथ दुर्व्यवहार जैसी शिकायतें भी मिल रही थीं। इसी बात का संज्ञान लेते हुए यह फैसला लिया गया कि मंदिर की पुलिसिंग की अलग व्यवस्था होनी चाहिए, जिसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में विशेष तौर पर पुजारियों की वेश में पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे।
वाराणसी पुलिस कमिश्नर का बयान
वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल (Varanasi Police Commissioner Mohit Aggarwal) ने बताया कि मंदिर में ड्यूटी अन्य जगहों से अलग है, क्योंकि पुलिस को यहां विभिन्न प्रकार की भीड़ का प्रबंधन करना पड़ता है। यहां भीड़ कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करने के लिए नहीं है। पुलिस यहां लोगों को आसान दर्शन सुनिश्चित करने और उनकी सहायता और मार्गदर्शन करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों द्वारा धक्का दिए जाने पर भक्तों को चोट लगती है, अगर यही बात पुजारी करते हैं तो वे इसे सकारात्मक तरीके से लेते हैं। नो टच पॉलिसी का पालन करते हुए, पुजारियों की पोशाक में पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा रहा है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि सभी पुलिसकर्मी पुजारी के ही वेश में रहेंगे। कुछ पुलिसकर्मी अपनी वर्दी में तैनात रहेंगे और महिला पुलिसकर्मी महिलाओं को दर्शन के बाद आगे बढ़ते रहने के लिए अपील करती रहेंगी।
उन्होंने आगे बताया कि इस नए प्रयोग में जो टच पॉलिसी का भी होगा क्योंकि वीआईपी मूवमेंट के समय पुलिसकर्मी आमतौर पर श्रद्धालुओं को हटा देते हैं। इससे उनको ठेस पहुंचती है और वह नकारात्मक सोच लेकर मंदिर से जाते हैं। मंदिर में ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों की बकायदे 3 दिनों की ट्रेनिंग होगी क्योंकि थानों पर ड्यूटी से बिल्कुल अलग मंदिर पर ड्यूटी करना होता है। इसके अलावा मंदिर में जो पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे, उन्हें मृदुभाषी होने के साथ-साथ दूसरी भाषाओं का थोड़ा-थोड़ा ज्ञान दिया जाएगा ताकि दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को समझा सकें।
इसके लिए प्रशासन की ओर से एक हेल्प डेस्क की व्यवस्था मंदिर में की जा रही है। उन्होंने आगे बताया कि ट्रेनिंग के दौरान पुलिसकर्मियों को काशी के प्रमुख स्थलों के बारे में भी बताया जाएगा और उनको श्रद्धालुओं को देने के लिए पर्चा भी दिया जाएगा। इससे वे श्रद्धालुओं की जिज्ञासा को पूरी तरह से शांत कर सकें।