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दिल्ली में सीएम योगी की मुलाकातों के जानें सियासी मायनें, पहले शाह, मोदी, नड्डा और फिर राष्ट्रपति…

यूपी में 2022 होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी तैयारियों को धार देने के लिए लिहाज सीएम योगी का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। योगी के पीएम से मिलने से पहले गुरुवार को पीएम मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच भी मीटिंग हुई।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। यूपी में 2022 होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी तैयारियों को धार देने के लिए लिहाज सीएम योगी का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। योगी के पीएम से मिलने से पहले गुरुवार को पीएम मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच भी मीटिंग हुई। इसके बाद सीएम योगी के साथ गुरुवार को अमित शाह की बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली। बताया जा रहा है कि इस दौरान 2022 के लिए रोडमैप और संभावित कैबिनेट विस्तार को लेकर भी चर्चा हुई। सूत्रों का कहना है कि शाह ने ‘बैकलॉग’ खत्म करने के साथ यूपी की चुनावी तैयारियों को धार देने का रास्ता सुझा दिया है। यूपी बीजेपी इसी पर आगे बढ़ेगी।

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इसके बाद शुक्रवार को पीएम आवास में सीएम योगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक हुई है। दोनों के बीच तकरीबन 80 मिनट तक बात हुई है। इसके बाद दिल्ली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। इसके बाद सीएम योगी ने राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात की है।

सूत्रों के मुताबिक, आज दिल्ली में हो रही बैठक में कैबिनेट विस्तार को लेकर अंतिम मुहर लगा दी जाएगी। सीएम योगी आदित्यनाथ के दिल्ली से वापस लौटते ही कैबिनेट विस्तार को अंजाम दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अरविंद शर्मा और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। इसके अलावा चार एमएलसी सीटें खाली हो रही हैं, जिसकी दावेदारी के लिए भी जितिन के नाम की चर्चा है।

मंत्रिमंडल विस्तार, भरे जाएंगे खाली पद 

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में चल रही पूरी कवायद के बाद यह तय हो गया है कि यूपी में जल्द मंत्रिमंडल विस्तार होगा और आयोग-निगमों में खाली पद भरे जाएंगे। इस वक्त मंत्रिमंडल में सात सीटें खाली हैं, जिन पर अब तक खुद को उपेक्षित बताने वाली अपना दल (एस) और निषाद पार्टी भी दावेदारी जता रही है। इसके अलावा आयोग-निगमों में अल्पसंख्यक आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्षों को मिलाकर करीब 110 पद खाली हैं। बड़े तीन आयोगों के नामों को लेकर चर्चा भी हो चुकी है।

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