कूर्म जयंती हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा की जाती है। कूर्म यानी कछुआ, श्रीहरि ने कछुआ बनकर संसार की रक्षा की थी।
Kurma Jayanti 2024: कूर्म जयंती हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा की जाती है। कूर्म यानी कछुआ, श्रीहरि ने कछुआ बनकर संसार की रक्षा की थी। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन घर में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है।
वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि 22 मई को शाम 05 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 23 मई को शाम 05 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के चलते कूर्म जयंती 23 मई दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।
पद्म पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब मंदराचल पर्वत ताल में धंसने लगा तो भगवान विष्णु ने कछुए का रूप लिया और धरती को नष्ट होने से बचाया था। कूर्म जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही हर पाप से छुटकारा मिलता है।