ज्योतिष शास्त्र में लहसुनिया रत्न को लाभकारी माना गया है क्योंकि यह आपको मानसिक शांति प्रदान करने के साथ-साथ सभी प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करता है। लेकिन हो सकता है कि इसका असर सभी पर एक जैसा न हो। जानिए लेहसुनिया रत्न किसे धारण करना चाहिए और किसे इससे बचना चाहिए।
लेहसुनिया या कैट्स-आई रत्न को केतु का रत्न माना जाता है। यह रत्न बहुत चमकीला होता है और बिल्ली की आंख की तरह ही इसकी अपनी विशेष बनावट होती है जिसके कारण इसे यह नाम मिला है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु जब आपकी राशि में स्थित हो तो यह आपके लिए परेशानी का सबब बन जाता है। और ऐसे में बिल्ली की आंख का रत्न धारण करना शुभ माना जाता है।
यह गहन ग्रह ऊर्जा वाला रत्न है और काफी तेजी से प्रभाव दिखाता है। यह फायदेमंद माना जाता है क्योंकि यह आपको मानसिक शांति देने के साथ-साथ हर तरह की समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करता है। लेकिन हो सकता है कि इसका असर सभी पर एक जैसा न हो। जानिए लेहसुनिया रत्न किसे धारण करना चाहिए और किसे इससे बचना चाहिए।
लहसुनिया रत्न किसे धारण करना चाहिए?
अगर आपकी कुंडली में केतु कमजोर है तो उसे मजबूत बनाने के लिए आपको रत्न धारण करना चाहिए। इससे आपको अनचाहे डर से भी मुक्ति मिलेगी।
केतु के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए बिल्ली की आंख का रत्न धारण करना चाहिए।
जिन लोगों की कुण्डली में केतु पहले, तीसरे, चौथे, पांचवें, नौवें और दसवें भाव में है। रत्न धारण करना उन लोगों के लिए फायदेमंद रहेगा।
यदि कुंडली में केतु सूर्य के साथ हो या सूर्य की दृष्टि हो तो इस रत्न को धारण करना चाहिए।
यदि केतु आपकी जन्म कुंडली में मंगल, गुरु और शुक्र की युति में हो तो आप रत्न धारण कर सकते हैं।
यदि केतु की अंतर्दशा और महादशा चल रही हो तो इस रत्न को धारण करने से लाभ होता है।
यदि कोई बच्चा बार-बार दिखाई दे रहा हो तो चांदी के लॉकेट में लहसुन डालकर धारण करें। इससे फायदा होगा।
यदि कुंडली में केतु पंचम भाव के स्वामी के साथ हो या भाग्येश के साथ हो तो बिल्ली की आँख का रत्न धारण करना शुभ रहेगा।
यदि किसी व्यवसायी को अपने व्यवसाय में लगातार घाटा हो रहा हो तो वह ज्योतिषियों से परामर्श करके बिल्ली की आंख वाला रत्न धारण कर सकता है। इसकी मदद से उनके सभी रुके हुए काम भी पूरे होंगे।
यदि आप मानसिक तनाव में हैं तो रत्न धारण कर सकते हैं। इससे मन को शांति मिलेगी।
लेहसुनिया (कैट्स आई) रत्न किसे नहीं पहनना चाहिए?
जिन लोगों की कुण्डली में केतु दूसरे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित है तो उन लोगों को यह रत्न नहीं पहनना चाहिए। इससे उन्हें किसी तरह का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
लेहसुनिया रत्न को पुखराज, मोती या माणिक के साथ कभी नहीं पहनना चाहिए।
लेहसुनिया रत्न को कभी भी हीरे के साथ भी नहीं पहनना चाहिए। इससे आपको धन की हानि हो सकती है।
यदि बिल्ली की आँख के रत्न में चार या अधिक धारियाँ हों तो इसे बिल्कुल भी न पहनें। इससे आपको लाभ की बजाय हानि होगी।
बिना ज्योतिषी की सलाह के व्यक्ति को बिल्ली की आंख नहीं पहननी चाहिए। अगर वह ऐसा करता है तो इससे दिल और दिमाग से जुड़े रोग हो सकते हैं।