यूपी के बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) को 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले (Fake Arms License Cases) में बुधवार को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई गई है। बता दें कि बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह (IS-191) का सरगना और माफिया मुख्तार को आठवीं बार सजा हुई है।
गाजीपुर। यूपी के बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) को 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले (Fake Arms License Cases) में बुधवार को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई गई है। बता दें कि बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह (IS-191) का सरगना और माफिया मुख्तार को आठवीं बार सजा हुई है।
विशेष न्यायाधीश (MP-MLA Court) अवनीश गौतम की कोर्ट ने बुधवार को मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई है। इस दौरान मुख्तार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया। इसी अदालत ने ही 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है। आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सीबीसीआईडी (CBCID)ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव (Ordnance Clerk Gaurishankar Srivastava) और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया गया था। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध 18 अगस्त 2021 को मुकदमा समाप्त कर दिया गया। अदालत में अभियोजन की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह (ADGC Vinay Kumar Singh) और अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ला (Prosecution Officer Uday Raj Shukla) ने पक्ष रखा।
इन धाराओं के तहत हुई सजा
माफिया मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (Section 420 of the Indian Penal Code) यानी धोखाधड़ी, 467 यानी बहुमूल्य सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी और 468 यानी ठगी के मकसद से जालसाजी का दोषी पाया गया, जिसमें सजा सुनाई गई है। भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की इन धाराओं के तहत अधिकतम दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari)को आयुध अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी पाया गया है। इसके तहत अधिकतम छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।