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Lok Sabha Speaker Election: आज चुना जाएगा 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष, जानिए चुनाव की प्रक्रिया और नंबरगेम

Lok Sabha Speaker Election: सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आखिरी समय तक सहमति न बनने के बाद मंगलवार को दोनों के लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) पद के लिए उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया। लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए सत्तापक्ष ने ओम बिरला (Om Birla) को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्ष ने के सुरेश (K Suresh) को मैदान में उतारा है। वहीं, आज यानी बुधवार को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष के लिए मतदान होगा। जिसकी प्रक्रिया और नंबरगेम के बारे में हम आपको बताने वाले हैं।

By Abhimanyu 
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Lok Sabha Speaker Election: सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आखिरी समय तक सहमति न बनने के बाद मंगलवार को दोनों के लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) पद के लिए उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया। लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए सत्तापक्ष ने ओम बिरला (Om Birla) को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्ष ने के सुरेश (K Suresh) को मैदान में उतारा है। वहीं, आज यानी बुधवार को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष के लिए मतदान होगा। जिसकी प्रक्रिया और नंबरगेम के बारे में हम आपको बताने वाले हैं।

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दरअसल, करीब पांच दशक बाद भारत में लोकसभा अध्यक्ष के लिए मतदान होने जा रहा है, इससे पहले 1952 और 1976 में भी अध्यक्ष के लिए चुनाव में मतदान हुआ था। वहीं, 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने व्हिप जारी कर अपने-अपने सांसदों को वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं। इसी बीच विपक्षी इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि टीएमसी ने कांग्रेस नेता के सुरेश को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर आपत्ति जतायी है। टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि इस बारे में उनकी पार्टी से कोई सलाह नहीं ली गई है। किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया। यह एकतरफा फैसला है। के सुरेश को समर्थन के बारे में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी अंतिम फैसला लेंगी।

लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया

लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए सबसे पहले प्रस्ताव पेश किया जाता है। सत्ता पक्ष की ओर से उम्मीदवार की घोषणा के बाद उसका नाम आमतौर पर प्रधानमंत्री या संसदीय कार्य मंत्री प्रस्तावित करते हैं। लोकसभा सचिवालय को जिस उम्मीदवार का पहले प्रस्ताव मिलता है, उसका प्रस्ताव भी सदन में पहले पेश किया जाता है। इस दौरान विपक्ष की ओर से मत विभाजन की मांग की जाएगी। अगर पहला प्रस्ताव पारित होता है यानी 50 फीसदी से ज्यादा बहुमत मिल जाता है तो दूसरे प्रस्ताव को पेश करने की नौबत नहीं आएगी। इसका मतलब यह है कि अगर सत्तापक्ष के उम्मीदवार ओम बिरला का प्रस्ताव पास हो जाता है तो वे अध्यक्ष घोषित कर दिए जाएंगे। ऐसे में विपक्ष के उम्मीदवार के सुरेश के प्रस्ताव को सदन के पटल पर पेश करने की जरूरत नहीं होगी।

ध्वनि मत से चुनाव कराए जाने की संभावना है, लेकिन अगर विपक्ष ने आपत्ति जतायी तो फिर पेपर स्लिप के जरिए चुनाव हो सकता है, क्योंकि नई लोकसभा में अभी सीटों के आवंटन की प्रक्रिया चल रही है और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम भी चालू नहीं है, इसलिए सदस्यों को पर्चियां दी जाएंगी और उसी के जरिए मतदान होगा। बता दें कि लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं। वायनाड सीट खाली है, जबकि सात सांसदों ने अभी लोकसभा में शपथ नहीं ली है, जिसकी वजह से ये सांसद वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। ऐसे में सदन में कुल सांसदों की संख्या घटकर 535 हो जाएगी। लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में बहुमत के लिए 268 सांसदों का समर्थन जरूरी है।

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लोकसभा में नंबरगेम

लोकसभा में एनडीए के पास 293 सदस्य हैं यानी बहुमत से काफी ज्यादा संख्या है, जबकि इंडिया गठबंधन के सदस्यों की संख्या 233 है। वहीं, जिन सात सांसद ने अभी शपथ नहीं ली है, उनमें से इंडिया गठबंध के पांच सांसद शामिल हैं उनके समर्थन करने वाले सांसदों की संख्या 228 रह जाएगी। ऐसे में एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला का लोकसभा अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय है। अगर बिरला चुनाव जीतते हैं तो वे भाजपा के ऐसे पहले नेता होंगे जो लगातार और दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए। इससे पहले कांग्रेस के बलराम जाखड़ भी दो बार स्पीकर रहे हैं।

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