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लखनऊ नगर निगम ने 51 हजार घरों का मनमाने ढंग से बढ़ाया टैक्स, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी ने खोली पोल

लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) राजधानी के 51,267 भवनों के गृह कर नियमों को ताक पर रख कर बढ़ा दिए गए हैं। ये खुलासा लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी (Chief Tax Assessment Officer) पीके मिश्रा (PK Mishra) की रिपोर्ट से हुआ है। उन्होंने नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें कहा है कि इन भवनों के कर निर्धारण में नियमों और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) राजधानी के 51,267 भवनों के गृह कर नियमों को ताक पर रख कर बढ़ा दिए गए हैं। ये खुलासा लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी (Chief Tax Assessment Officer) पीके मिश्रा (PK Mishra) की रिपोर्ट से हुआ है। उन्होंने नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें कहा है कि इन भवनों के कर निर्धारण में नियमों और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

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बता दें कि लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) में हाउस टैक्स (Houses Tax) को लेकर आए दिन लोग भटकते दिखते हैं। लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) के कर्मचारी व इंस्पेक्टर टैक्स बढ़ाकर भवन स्वामियों का शोषण करते हैं। नगर निगम (Municipal Corporation)अभी तक टैक्स की गड़बड़ियों को सीधे तौर पर स्वीकार नहीं करता था। लेकिन अब मुख्य कर निर्धारण अधिकारी (Chief Tax Assessment Officer)  ने खुद नगर आयुक्त (Municipal Commissioner)  को भेजी रिपोर्ट में गड़बड़ी होने की बात स्वीकारी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि 51,267 + भवनों के कर निर्धारण में नियमों और प्रक्रिया को दरकिनार कर टैक्स बढ़ गया है। इससे भवन स्वामी गृह कर नहीं जमा कर रहे हैं।

कई भवन स्वामी अदालत का दरवाजा खटखटाया

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके मिश्रा (Chief Tax Assessment Officer PK Mishra )  ने अपनी रिपोर्ट कहा है कि गलत निर्धारण होने के वजह से कुछ भवन स्वामियों ने अदालतों में में कहा है कि गलत निर्धारण होने की वजह अदालतों में दायर कर दिया है। वे नगर निगम (Municipal Corporation) की जगह अदालत से राहत प्राप्त करने के प्रयास में लगे हैं।

कर निर्धारण में इसलिए हुई गड़बड़ी

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इन भवनों के कर निर्धारण में इसलिए गड़बड़ी हुई क्योंकि जीआईएस (GIS) से जो आंकड़े मिले थे उन्हें सीधे एनआईसी के सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर दिया गया। ये आंकड़े सही थे या नहीं ,भवनों से इनका मिलान ही नहीं किया गया। भवन स्वामियों का भी पक्ष नहीं सुना गया।

2,67,145 भवनों का मिलान ही नहीं

राजधानी में भवनों का जीआईएस सर्वे यूनिकॉप कंपनी (GIS Survey Unicop Company) ने किया है। उसने नगर निगम (Municipal Corporation) सीमा में कुल 8,39,190 भवन चिह्नित किए हैं। इनमें से 3,41,529 भवनों के डेटाबेस का नगर निगम (Municipal Corporation) के गृह कर के डेटाबेस से मिलान हुआ है। 2,67,145 भवन ऐसे हैं जिनका जीआईएस डेटा से मिलान नहीं हो पाया है। इस वजह से इन भवन स्वामियों को अभी तक नोटिस भी नहीं भेजा जा सका है।

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम पीके मिश्रा (Chief Tax Assessment Officer PK Mishra ) ने बताया कि 51,267 भवन स्वामियों के कर निर्धारण में प्रक्रिया व नियमों का पालन नहीं किया गया है, जिसकी रिपोर्ट नगर आयुक्त (Municipal Commissioner)  को रिपोर्ट भेजी है। जो भवन स्वामी आ रहे हैं, उनके हाउस टैक्स (Houses Tax)  में सुधार किया जा रहा है।

 

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