मकर-संक्रांति के दिन उत्सव, धूम और अनुष्ठानों की छटा निराली होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार,देवता भी इस सुअवसर पर मां गंगा में डुबकी लगाने के लिए धरती पर अवतरित होते हैं।
Makar Sankranti 2024 : मकर-संक्रांति के दिन उत्सव, धूम और अनुष्ठानों की छटा निराली होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार,देवता भी इस सुअवसर पर मां गंगा में डुबकी लगाने के लिए धरती पर अवतरित होते हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है। इसके पीछे की मान्यता है कि ऐसा करने से आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। सूर्य की नव आभा से अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का खास महत्व है।
यह त्यौहार नई फसल और नई ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास (Kharmas) का भी समापन हो जाएगा। इसके अलावा मकर संक्रांति पर रवि योग, (Ravi Yog) अमृत काल और अभिजीत मुहूर्त भी बन रहे हैं।
इस साल मकर संक्रांति पर रवि योग बन रहा है। ऐसे में इस योग में सूर्य पूजा की जाए, तो कई तरह के लाभ होते हैं।
सूर्यनारायण के उत्तरायण की स्थिति मकर संक्रांति से ही शुरू होती है। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। उत्तरायण के मौके पर गंगा और यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है। साल भर की छ: ऋतुओं में से तीन ऋतुएं शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म ऋतुएं उत्तरायण की होती है।