मकर संक्रांति ऋतु परिवर्तन का संदेश है। जीव जगत को ऊर्जावान बनाने वाले सूर्य देव का इस दिन राशि परिवर्तन होगा। इस दिन से सूर्य देव, शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं।
Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति ऋतु परिवर्तन का संदेश है। जीव जगत को ऊर्जावान बनाने वाले सूर्य देव का इस दिन राशि परिवर्तन होगा। इस दिन से सूर्य देव, शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। इस दिन सूर्य देव की पूजा भी मुख्य रूप से की जाती है। मकर संक्रांति के पर्व पर भगवान सूर्य के ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र के जाप से तेज बल बढ़ता है। सूर्य के मकर राशि में संक्रमण और लंबे दिन के उजाले की शुरुआत का प्रतीक हैं। वैदिक साहित्य में, उत्तरायण को सकारात्मक ऊर्जाओं से जोड़ा गया है और इसे आध्यात्मिक प्रथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों और मेधावी कार्यों के लिए एक शुभ अवधि माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दौरान ऊर्जाएं प्रगति, उपलब्धि और आध्यात्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति का समर्थन करती हैं। सूर्य जब मकर रेखा से उत्तर कर्क रेखा की ओर जाता है तो वह उत्तरायण कहलाता है, सूर्य जब कर्क रेखा से दक्षिणी की ओर जाता है तो उसे दक्षिणायन कहा जाता है। उत्तरायण में दिन बड़े होंगे और दक्षिणायन में दिन छोटे होंगे।
15 जनवरी को 08:42 एएम पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस वजह से मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन शतभिषा नक्षत्र और अमृत योग है।
सर्दी से बचने के लिए तिल, तेल और तूल का महत्व है।
2. पानी में तिल डालकर स्नान, तिल के उबटन, तिल-हवन, तिल-भोजन तथा तिल-दान करने से पाप का नाश होता है।
3. इस वजह से मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू खाने और दान देने का महत्व है।
4. इस दिन खिचड़ी खाते हैं और खिचड़ी-तिल का दान करते हैं।