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मायावती इस सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले से फतह करेंगी मिशन यूपी-2022

यूपी में 2022 होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण और गठजोड़ बनाने में एड़ी से चोटी का जोर लगाए हुए हैं। बीएसपी प्रमुख मायावती 2022 चुनाव में कोई कोर कसर बाकी न छोड़ने की मूड में दिख रही हैं। यह चुनाव उनके लिए आर या पार की लड़ाई साबित होने वाला है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी में 2022 होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण और गठजोड़ बनाने में एड़ी से चोटी का जोर लगाए हुए हैं। बीएसपी प्रमुख मायावती 2022 चुनाव में कोई कोर कसर बाकी न छोड़ने की मूड में दिख रही हैं। यह चुनाव उनके लिए आर या पार की लड़ाई साबित होने वाला है। इसको देखते हुए मायावती ने लखनऊ में डेरा जमा रखा है। 2022 की सियासी जंग फतह करने के लिए कॉस्ट फॉर्मूला तैयार किया है, जिसके आधार पर बसपा अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।

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मायावती ने इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य सेक्टर प्रभारी बनाया है। बसपा के सेक्टर प्रभारी के जरिए ही मायावती 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों का चयन करेंगी। इसी आधार पर बसपा टिकट बांटेगी।

क्या मायावती का ये कार्ड होगा सफल?

मायावती ने इस बार के चुनाव में टिकट बंटवारे के लिए नए फॉर्मूले को तैयार किया है, उसके लिहाज से ओबीसी को प्राथमिकता देने की रणनीति है। इस रणनीति के मुताबिक प्रदेश के हर जिले में एक से दो ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया जा सकता है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक बसपा सामान्य जाति में सबसे ज्यादा ब्राह्मण को तवज्जो देगी। इसके बाद उसने अपने आधार वोटबैंक दलित और मुस्लिम को टिकट देने की रणनीति अपनाई है।

यूपी में तमाम ओबीसी जातियां हैं। बसपा उन पर दांव खेलकर, उनको अपना प्रत्याशी बनाएगी। सूबे में करीब 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी मतदाता हैं, जो सियासी तौर पर निर्णायक भूमिका में हैं। सामान्य जातियों की बात करें तो उसमें सबसे ज्यादा ब्राह्मणों को टिकट देकर मायावती ब्राह्मणों को खुश करना चाहती हैं।

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बता दें कि ब्राह्मण भाजपा से नाराज हैं। इसलिए बसपा ब्राह्मणों को उम्मीदवार बनाकर 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी करना चाह रही है। हालांकि अभी तक ब्राह्मण भाजपा के साथ खड़ा था, लेकिन, यूपी की भाजपा सरकार पर विपक्षी दलों द्वारा लगातार जातिवाद के आरोप लगाने के बाद कुछ ब्राह्मण दलों ने उनसे दूरी बना ली है। इसीलिए अब मायावती की नजर ब्राह्मण वोटों पर है।

बता दें कि 2017 में मायावती ने मुस्लिम उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में करीब 100 से ज्यादा टिकट दिए थे, लेकिन बसपा का यह प्रयोग सफल नहीं रहा। इसीलिए मायावती इस बार कांशीराम के फॉर्मूले को आधार बनाकर टिकट वितरण में ओबीसी दांव खेलने की रणनीति बनाई है, जिसमें अतिपिछड़ा समुदाय से ज्यादा से ज्यादा कैंडिडेट का चयन करने के लिए मुख्य सेक्टर प्रभारी को दिशा निर्देश दिया है।

2007 में बसपा का कास्ट फॉर्मूला हिट रहा

मायावती ने 2007 में यूपी के चुनाव में 403 में से 206 सीटें जीतकर और 30 फीसदी वोट के साथ सत्ता हासिल करके देश की सियासत में तहलका मचा दिया था। बसपा 2007 का प्रदर्शन कोई आकस्मिक नहीं था बल्कि उसके पीछे मायावती की सोची समझी रणनीति थी। प्रत्याशियों की घोषणा चुनाव से लगभग एक साल पहले ही कर दी गई थी। इसके अलावा ओबीसी, दलितों, ब्राह्मणों, और मुसलमानों के साथ एक तालमेल बनाया था। इसी फॉर्मूले को फिर से जमीन पर उतारने की कवायद में बसपा है।

मायावती ने शुरुआत तो बड़े दलित जनाधार के साथ की थी और एक व्यापक जातीय गठजोड़ भी बनाया था, लेकिन 2012 के बाद से बसपा का जनाधार खिसका है। इसी के चलते उसने 2012 में सत्ता गंवाई और 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। 2017 में पार्टी 20 सीटों के नीचे सिमट गई, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह सपा के साथ गठबंधन कर 10 सीटें जीतने में सफल रही। इस तरह बसपा का आधार जाटव समुदाय और कुछ मुस्लिम पॉकेटों में सिमट गया है।

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बीजेपी ने गैर-जाटव दलित वोट बैंक में सेंध लगाई है, जबकि कांग्रेस और सपा भी इनमें अपने हिस्सेदारी करने की कोशिश में हैं। यूपी की आबादी में दलित 20 प्रतिशत हैं, तो जाटव 12 प्रतिशत हैं। ऐसे में बसपा अपने खोए हुए जनाधार को वापस लाने की कवायद में है, जिसके तहत मायावती अब ओबीसी, ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम वोटों का फॉर्मूला बनाना चाहती हैं।

बसपा 2022 के चुनाव में ओबीसी, ब्राह्मण, दलित और मुस्लिमों को तवज्जो देने की रणनीति अपनाई 

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मायावती ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए लगभग खाका तैयार कर लिया है। पार्टी ने प्रदेश के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने से काफी पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा करने की रणनीति बनाई है ताकि पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव तैयारी के लिए पूरा समय मिले। बसपा ने इस बार अधिकतर सीटों पर युवाओं को मौका देने की रणनीति अपनाई है।

माना जा रहा है कि अगस्त के आखिरी और सितंबर महीने में करीब 200 सीटों पर कैंडिडेट को मायावती हरी झंडी दे देगी। इसके अलावा बाकी बची सीटों पर अक्टूबर तक कैंडिडेट के नामों का ऐलान कर सकती है। मुख्य सेक्टर प्रभारी अपने क्षेत्र से संभावित प्रत्याशियों के नाम मायावती के पास भेजना शुरू कर दिया है। मायावती के कास्ट फॉर्मूले का बसपा के सेक्टर प्रभारी ख्याल रख रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो बसपा 2022 के चुनाव में पूर्वांचल के इलाके में ब्राह्मण और ओबीसी समुदाय पर ज्यादा से ज्यादा दांव खेलने की रणनीति बनाई है। तो पश्चिम यूपी में दलित और मुस्लिम कैंडिडेट उतारने का खाका तैयार किया है। इस फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए सेक्टर प्रभारी प्रत्याशियों का चयन कर रहे हैं।

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