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प्राकृतिक खेती के क्लस्टरों की नियमित निगरानी करें, लापरवाही पर होगी कार्रवाई : कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही (Agriculture Minister Surya Pratap Shahi) ने मंगलवार को विधानभवन स्थित कार्यालय कक्ष संख्या-48 में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Natural Farming Mission) की समीक्षा बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जाए, नियमित निरीक्षण किया जाए।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ: कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही (Agriculture Minister Surya Pratap Shahi) ने मंगलवार को विधानभवन स्थित कार्यालय कक्ष संख्या-48 में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Natural Farming Mission) की समीक्षा बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जाए, नियमित निरीक्षण किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि लापरवाही पाए जाने पर सम्बन्धित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए।

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कृषि मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से मिट्टी की उर्वरता और जल संरक्षण सुनिश्चित होगा तथा किसानों को जैविक उत्पादों की बाजार में अच्छी कीमत प्राप्त होगी। उन्होंने कृषकों से आह्वान किया कि वे प्रशिक्षण और संसाधन केंद्रों का लाभ उठाकर प्राकृतिक खेती की तकनीकों को अपने खेतों में लागू करें। कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming)  किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण का सशक्त माध्यम है, इसे मिशन मोड में आगे बढ़ाया जाए।

बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 75 जनपदों एवं 318 विकासखण्डों में 1886 क्लस्टरों का गठन किया जा चुका है। अब तक 3772 कृषि सखी/सीआरपी का चयन और प्रशिक्षण हुआ है। क्लस्टर स्तर पर 1886 जागरूकता कार्यक्रम और 318 ओरिएन्टेशन कार्यक्रम सम्पन्न कराए गए हैं। मिशन के अंतर्गत 2.20 लाख कृषक प्रशिक्षित हो चुके हैं। किसानों से 82 हजार से अधिक मृदा नमूने लिए गए हैं। साथ ही 38 स्थानीय प्राकृतिक खेती संस्थान (LNFI) से 38 मॉडल फार्म विकसित किए गए हैं तथा 199 वैज्ञानिक, फार्मर मास्टर ट्रेनर एवं 120 विभागीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। हाल ही में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी में वैज्ञानिकों एवं फार्मर मास्टर ट्रेनरों का विशेष प्रशिक्षण आयोजित हुआ। इस बैठक के तुरंत बाद कृषि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की निर्माण परियोजनाओं की समीक्षा बैठक में टीश्यू कल्चर लैब, ऑडिटोरियम, इनक्यूबेशन सेंटर, ऑर्गेनिक लैब तथा अन्य निर्माण प्रस्तावों की प्रगति पर चर्चा की गई।

कृषि मंत्री ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को केवल बुनियादी ढाँचे के निर्माण तक सीमित न रहकर रिसर्च आधारित प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने होंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कृषि विश्वविद्यालय को अपना आगामी वर्षों का विज़न डॉक्यूमेंट तैयार करना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि वे आने वाले समय में किस दिशा में अनुसंधान करेंगे और उसका प्रत्यक्ष लाभ किसानों को कैसे मिलेगा। कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने भी अधिकारियों एवं कुलपतियों को निर्देश दिए कि विश्वविद्यालयों की शोध परियोजनाएं व्यवहारिक हों और उनका परिणाम किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने व उनकी लागत घटाने में मददगार हो।

बैठक में प्रमुख सचिव कृषि रविंद्र, सचिव कृषि इन्द्र विक्रम सिंह, विशेष सचिव टी.के. शीबू एवं निदेशक कृषि पंकज त्रिपाठी उपस्थित रहे। दूसरी बैठक में प्रदेश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे।

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