कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू की लिखी बातों का एक बड़ा डिजिटल आर्काइव खोलने की तारीफ़ की। इसे भारत की डेमोक्रेटिक यात्रा को समझने की चाहत रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक ताकतवर दिशासूचक बताया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री के काम सिर्फ़ ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं हैं, बल्कि देश की बदलती सोच को दिखाते हैं।
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी (Congress leader and Lok Sabha MP Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री स्वग्रीय जवाहरलाल नेहरू (Former Prime Minister Late Jawaharlal Nehru) की लिखी बातों का एक बड़ा डिजिटल आर्काइव (digital archive) खोलने की तारीफ़ की। इसे भारत की डेमोक्रेटिक यात्रा को समझने की चाहत रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक ताकतवर दिशासूचक बताया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री के काम सिर्फ़ ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं हैं, बल्कि देश की बदलती सोच को दिखाते हैं। जिसमें उसकी हिम्मत, शक और उम्मीदें शामिल हैं।
आर्काइव की अहमियत पर अपने विचार शेयर करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नेहरू की लिखी बातें उन चुनौतियों और जीतों के बारे में गहरी समझ देती हैं जिन्होंने मॉडर्न भारत को बनाया है। नेहरू की लिखी बातें सिर्फ़ इतिहास नहीं हैं, वह भारत की बदलती सोच का रिकॉर्ड हैं। जो कोई भी हमारे देश की डेमोक्रेटिक यात्रा उसकी हिम्मत, उसके शक और उसके सपने को समझना चाहता है। उसके लिए उनके शब्द एक ताकतवर रास्ता दिखाते हैं। मुझे खुशी है कि यह विरासत अब सबके लिए खुली, खोजने लायक और मुफ़्त है। इसे और बढ़ाया जाएगा। राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू के चुने हुए काम को पूरी तरह से डिजिटाइज़ कर दिया गया है। नए लॉन्च किए गए डिजिटल आर्काइव में नेहरू के निबंध, चिट्ठियां, भाषण और निजी विचार आसानी से मिल जाते हैं और खोजे जा सकते हैं, जिससे रिसर्चर, छात्र और नागरिक भारत के पहले प्रधानमंत्री के विचारों को आसान फ़ॉर्मेट में समझ सकते हैं। आर्काइव को लगातार बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें समय के साथ और भी लिखी बातें और डॉक्यूमेंट शामिल करने की योजना है। राहुल गांधी ने खुशी जताई कि नेहरू की बौद्धिक और राजनीतिक विरासत अब बिना किसी रोक-टोक के जनता के लिए उपलब्ध है। उन्होंने इस पहल को ऐतिहासिक साक्षरता और डेमोक्रेटिक जागरूकता को बढ़ावा देने में एक ज़रूरी कदम बताया, जिससे नागरिकों को उन बुनियादी विचारों से जुड़ने के लिए बढ़ावा मिला जिन्होंने भारत को एक सॉवरेन और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक के रूप में बनने में मदद की।