महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) में कांग्रेस को मिली अब तक की सबसे बुरी हार के कुछ दिनों बाद एक बार फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) ने केंद्रीय नेतृत्व से संगठनात्मक पद की जिम्मेदारी से मुक्त करने का अनुरोध किया है।
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) में कांग्रेस को मिली अब तक की सबसे बुरी हार के कुछ दिनों बाद एक बार फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) ने केंद्रीय नेतृत्व से संगठनात्मक पद की जिम्मेदारी से मुक्त करने का अनुरोध किया है। पार्टी सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि पटोले ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress National President Mallikarjun Kharge) को एक पत्र ईमेल किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC ) के प्रमुख के पद से छोड़ना चाहते हैं।
बता दें कि विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) के घटक दल कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 101 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत केवल 16 पर ही मिल सकी। कभी राज्य में सत्ता में रहने वाली कांग्रेस का ये अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। राज्य में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी अपनी सीटें बचाने में विफल रहे। पटोले खुद भंडारा जिले में अपने सकोली विधानसभा क्षेत्र में केवल 208 वोटों से जीते।
विधायक से सांसद तक का सफर
जिला पंचायत सदस्य बनने के साथ ही नाना पटोले (Nana Patole) को सियासत का चस्का लग गया और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी। कांग्रेस से टिकट मांगा और जब पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया तो निर्दलीय मैदान उतर गए। निर्दलीय चुनाव नहीं जीत सके तो कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस के टिकट पर 1999, 2004 और 2009 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। ऐसे में नाना पटोले (Nana Patole) को लोकसभा चुनाव लड़ने की ख्वाहिश जागी तो कांग्रेस छोड़ना पड़ा। इसकी वजह यह थी कि नाना पटोले (Nana Patole) जिस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, वहां से एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
कांग्रेस से इस्तीफा देकर नाना पटोले (Nana Patole) ने भंडारा-गोंदिया लोकसभा से प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ निर्दलीय ताल ठोक दी। इस चुनाव में वह हार गए, लेकिन वह दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी के दिग्गज प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ मैदान में उतरे और बड़े मार्जिन से जीत हासिल की। इसके बाद बीजेपी से उनके मतभेद हो गए। साल 2018 में नाना पटोले ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया और फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। नाना पटोले (Nana Patole) ने 2019 में नितिन गडकरी के खिलाफ नागपुर लोकसभा सीट चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद वह 2019 में अपनी पुरानी सीट से विधायक चुने गए।
बीजेपी को 2019 में सत्ता से रोकने के लिए उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी, जिसमें कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी भी शामिल थी। ऐसे में नाना पटोले के राजनीतिक करियर को देखते हुए उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा का स्पीकर चुना गया था।
नाना पटोले को फिर मिली कांग्रेस की कमान
नाना पटोले (Nana Patole) की पहचान महाराष्ट्र की सियासत में किसानों के मुद्दे को उठाने के लिए जाना जाता है। वह विदर्भ के ओबीसी कुनबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस में शामिल होते ही उन्हें पहले कांग्रेस किसान संगठन का अध्यक्ष नियुक्त किया था और उसके बाद सरकार बनी तो स्पीकर। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए नाना पटोले (Nana Patole) को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी गई। माना जाता है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मर्जी से उन्हें महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है।