सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा के साथ उनके गणों की भी पूजा का विधान है। शिवालय में भगवान शिव के सामने ही उनकी सवारी नंदी की मूर्ति अवश्य होती है।
Nandi Puja : सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा के साथ उनके गणों की भी पूजा का विधान है। शिवालय में भगवान शिव के सामने ही उनकी सवारी नंदी की मूर्ति अवश्य होती है। पौराणिक ग्रंथों देव संहिता और स्कंद पुराण के अनुसार शिव ने अपनी जटा से ‘वीरभद्र’ नामक गण उत्पन्न किया। इस तरह उनके ये प्रमुख गण थे- भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है। नंदी शिव के निवास स्थान कैलाश के संरक्षक देवता भी हैं।
प्रत्येक शिवालय में भगवान शिव के सामने ही उनकी सवारी नंदी की मूर्ति अवश्य होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार , भगवान शिव के दर्शन की तरह ही नंदी के दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है। शैव ग्रंथों में महादेव के वाहन नंदी को भक्ति और शक्ति के प्रतीक माना गया है। नंदी भगवान शिव के खास गणों में से एक हैं। वह भक्तों की मनोकामना शिव जी तक पहुंचाने का काम करते हैं। इसलिए शिव मंदिर में जाकर उनके कान में मनोकामना कही जाती है। घर में नंदी की मूर्ति रखने से कई उद्देश्य पूरे होते हैं। मान्यता है कि घर में नंदी की मूर्ति रखना प्रतिदिन आंतरिक शक्ति और भक्ति विकसित करने की निरंतर याद दिलाता है। घर के भीतर एक छोटी नंदी प्रतिमा की उपस्थिति उस स्थान को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक स्पंदनों से भर देती है।
नंदी गायत्री मंत्र (Nandi Gayatri Mantra)
‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभरू प्रचोदयात्।।