सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है। इसमें कोर्ट से केंद्र सरकार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र चयन समिति के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है। इसमें कोर्ट से केंद्र सरकार को मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र चयन समिति (Fair and Independent Selection Committee) के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। जनहित याचिका (PIL) में कहा गया है कि केंद्र सरकार (Central Government) को चुनाव आयुक्तों (Election Commissioners) की नियुक्ति में पूरी तरह पारदर्शिता बरतनी चाहिए।
बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से 28 दिसंबर को एक गजट नोटिफिकेशन (Gazette Notification) जारी किया गया था। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए नियमों का उल्लेख किया गया है।
क्या है नए कानून में प्रावधान?
मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) कानून को लेकर शुक्रवार को एक सरकारी अधिसूचना जारी की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सिफारिशें करने के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में एक चयन समिति का प्रावधान है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) /आयुक्त के वेतन के संबंध में खंड 10 में संशोधन किया है। आयुक्तों को अभी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जजों के बराबर वेतन मिलता है, लेकिन नए कानून के तहत उसमें आयुक्तों का वेतन कैबिनेट सचिव (Cabinet Secretary) के बराबर कर दिया गया। कैबिनेट सचिव (Cabinet Secretary) का वेतन जजों के बराबर है, लेकिन भत्तों व अन्य सुविधाओं में खासा अंतर है। सेवा शर्तों से जुड़े खंड-15 में संशोधन के साथ खंड 15(ए) जोड़ा गया है, जो चुनाव आयुक्तों को कानूनी संरक्षण से जुड़ा है। खंड-15 में आयुक्तों के यात्रा भत्ते, चिकित्सा, एलटीसी व अन्य सुविधाओं को जिक्र है, जबकि 15 (ए) में कहा है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) या चुनाव आयुक्त जो फैसले लेंगे, उसके खिलाफ प्राथमिकी नहीं हो सकेगी, न ही फैसलों को कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर हटाया जा सकेगा
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित खंड में संशोधन किया है, जिसमें आयुक्तों के सर्च पैनल का स्वरूप तय किया है। संशोधन के बाद अब आयुक्त की नियुक्ति से पहले देश के कानून मंत्री और भारत सरकार में सचिव स्तर के दो अधिकारी मिलकर पांच व्यक्तियों का पैनल तैयार करेंगे। इसी पैनल से अगला आयुक्त नियुक्त होगा। खंड 11 में मुख्य चुनाव आयुक्त(Chief Election Commissioner) व चुनाव आयुक्त हटाने की प्रक्रिया तय की है। मुख्य आयुक्त (Chief Election Commissioner) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज की प्रक्रिया से ही हटाया जा सकेगा, जबकि चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner)की सिफारिश पर हटाया जा सकेगा।