जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Jammu and Kashmir) उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल होने की उम्मीद अब धीमे-धीमे कम होती जा रही है। श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही उम्मीद थी कि स्टेटहुड (Statehood) वापस मिलेगा, लेकिन जितनी देर हो रही है, उतना ही भरोसा कमजोर पड़ रहा है।
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Jammu and Kashmir) उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल होने की उम्मीद अब धीमे-धीमे कम होती जा रही है। श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही उम्मीद थी कि स्टेटहुड (Statehood) वापस मिलेगा, लेकिन जितनी देर हो रही है, उतना ही भरोसा कमजोर पड़ रहा है।
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा कि ‘उम्मीद अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। अगर इस उम्मीद के भीतर फैसला हो जाए तो बेहतर होगा। जब उनसे पूछा गया कि अगर स्टेटहुड (Statehood) नहीं मिला तो उनका अगला कदम क्या होगा? तो उन्होंने साफ कहा कि ‘पहले उस पॉइंट पर पहुंचें, फिर बात करेंगे। यह भी सवाल उठा कि क्या वह टाइमलाइन में स्टेटहुड (Statehood) न मिलने पर इस्तीफा देंगे? इस पर उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि अगर यूनियन टेरिटरी (Union Territory) में गवर्नेंस इतनी आसान होती, तो सभी राज्य खुद को UT बनाने की मांग करते। असल समस्या यह है कि विभाग उनका है पर अधिकारी उनकी पसंद के नहीं। कई संस्थान चुनी हुई सरकार के अधीन होने चाहिए, लेकिन अभी भी कंट्रोल बाहर है।
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने यह भी कहा कि स्टेटहुड (Statehood) पर विधानसभा में खुली बहस होनी चाहिए थी। इससे साफ होता कि बीजेपी (BJP) के 28 विधायक किस स्टैंड पर हैं। क्योंकि जनता से स्टेटहुड (Statehood) के नाम पर वोट लिया गया था। इसके बावजूद केंद्र ने इसे बहाल नहीं किया। उन्होंने PSA के मुद्दे पर भी सरकार की कार्रवाई को कठोर बताया और कहा कि अगर बड़े नेताओं के विवादित बयान पर कार्रवाई नहीं होती तो आम विधायकों को इतनी बड़ी सजा क्यों? उनके मुताबिक असेंबली में मुद्दों की चर्चा पर रोक लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है।