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कमीशन के खेल में सिर्फ अभिषेक प्रकाश को ठहराया दोषी, फिर बड़े अधिकारी कैसे हैं बेदाग?

सौर ऊर्जा से जुड़े कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी एसएफएल सोलर प्राइवेट लिमिटेड ने 8000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस परियोजना में 5 फीसदी कमीशन यानी 400 करोड़ रुपये की मांग की गई, जिससे पूरा मामला विवादों में आ गया । भ्रष्टाचार मामले में सीएम योगी (CM Yogi) ने गुरुवार को बड़ा एक्शन एक्शन लेते हुए 2006 बैच के आईएएस सचिव औद्योगिक विकास विभाग व इन्वेस्ट यूपी के CEO अभिषेक प्रकाश (CEO of Invest UP Abhishek Prakash) को निलंबित कर दिया है।

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। सौर ऊर्जा से जुड़े कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी एसएफएल सोलर प्राइवेट लिमिटेड ने 8000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस परियोजना में 5 फीसदी कमीशन यानी 400 करोड़ रुपये की मांग की गई, जिससे पूरा मामला विवादों में आ गया । भ्रष्टाचार मामले में सीएम योगी (CM Yogi) ने गुरुवार को बड़ा एक्शन एक्शन लेते हुए 2006 बैच के आईएएस सचिव औद्योगिक विकास विभाग व इन्वेस्ट यूपी के CEO अभिषेक प्रकाश (CEO of Invest UP Abhishek Prakash) को निलंबित कर दिया है। अब यह सवाल उठता है कि क्या इस कमीशन के खेल में सिर्फ आईएएस अभिषेक प्रकाश ही दोषी हैं?

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सूत्रों का कहना है कि जब अभिषेक प्रकाश दोषी हैं तो यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह (UP Chief Secretary Manoj Kumar Singh) व तत्कालीन इन्वेस्ट यूपी में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) (Additional Chief Executive Officer(ACEO) at Invest UP) प्रथमेश कुमार (Prathamesh Kumar) बेदाग कैसे हैं?

सूत्रों के मुताबिक, इस निवेश प्रस्ताव की फाइल एक उच्च अधिकारी के पास पहुंचने के बाद अटक गई और जब तक 400 करोड़ रुपये की ‘मांग’ पूरी नहीं होती, तब तक इसे मंजूरी नहीं देने की बात कही गई।

एसएफएल सोलर की योजना

एसएफएल सोलर कंपनी ग्रेटर नोएडा में सोलर बैटरी और अन्य सौर उपकरणों का प्लांट लगाना चाहती थी। कंपनी ने इसके लिए औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) को ऑनलाइन आवेदन दिया था। इस प्रस्ताव के तहत कंपनी ने ग्रेटर नोएडा में बड़ी जमीन की मांग रखी थी।

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सूत्र बताते हैं कि कंपनी के आवेदन को बार-बार टाला गया, और जब उच्च अधिकारियों के पास यह फाइल पहुंची, तो 400 करोड़ रुपये की डिमांड सामने आई। एसएफएल सोलर की कुल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 6500 मेगावाट बताई जाती है। कंपनी पहले भी यूपी में निवेश कर चुकी है, लेकिन इतनी बड़ी परियोजना को लेकर शासन में अनिश्चितता बनी हुई थी।

जांच के घेरे में कई अधिकारी

इस पूरे प्रकरण के बाद अब कई अधिकारी जांच के दायरे में आ सकते हैं। इस मामले में कंसल्टेंसी फर्मों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।

औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि 200 एकड़ जमीन उपलब्ध थी, लेकिन उस समय किसानों से भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद चल रहा था। अब देखना यह होगा कि इस मामले की अंतिम जांच रिपोर्ट कब तक सामने आती है और क्या इसमें दोषियों पर कोई कार्रवाई होगी?

आईएएस अभिषेक प्रकाश (IAS Abhishek Prakash) के निलंबन पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने निशाना साधते हुए इस कार्रवाई को नाटक बताया। कहा कि इसके पीछे असल में कोई और है। इस बात खुल जाने की वजह से ये नाटक किया जा रहा है।

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अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  ने आईएएस अभिषेक प्रकाश (IAS Abhishek Prakash)  के निलंबन की कार्रवाई को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘ये है उप्र में इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस का सच, जहां औद्योगिक विकास के नाम पर खुलेआम कमीशन मांगा जा रहा है और बात खुल जाने पर निलंबन का नाटक रचा जा रहा है। इस भ्रष्टाचार का अंतिम पड़ाव अधिकारी नहीं कोई और है।

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