केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के मसले पर विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से झटका लगने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने उन दलों बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह एक गलत कदम था। यह राजनीति करने का सही तरीका नहीं था।
नई दिल्ली। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के मसले पर विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से झटका लगने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने उन दलों बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह एक गलत कदम था। यह राजनीति करने का सही तरीका नहीं था। जब हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व वाली भाजपा (BJP) जैसे प्रतिद्वंद्वी का सामना कर रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाना एक नासमझी भरा फैसला था। अब इसने भाजपा (BJP) को यह कहने का मौका दिया है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विपक्ष के दावों को नकार दिया है।
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) कांग्रेस के नेतृत्व वाले 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा विचार करने से इनकार करने पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। याचिका में विपक्षी नेताओं के खिलाफ CBI और ED जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ED-CBI के दुरुपयोग से जुड़ी कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। इसके बाद विपक्षी दलों ने अपनी याचिका वापस ले ली। याचिका में विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने उपयोग का आरोप लगाया गया था। याचिका में गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत जैसे मामलों को नियंत्रित करने वाले दिशा-निर्देशों का नया सेट जारी करने की मांग की गई थी।
विपक्षी दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने तर्क दिया कि 2013-14 से 2021-22 तक सीबीआई और ईडी के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ईडी की ओर से 121 राजनीतिक नेताओं की जांच की गई है, जिनमें से 95 प्रतिशत नेता विपक्षी दलों से हैं। सीबीआई की 124 जांचों में से 95 प्रतिशत से अधिक विपक्षी दलों से हैं। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि राजनीतिक विरोध की वैधता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।