Owaisi's reaction on Malegaon blast verdict: एनआईए कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा। आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया है।
Owaisi’s reaction on Malegaon blast verdict: एनआईए कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा। आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया है।
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये मालेगांव ब्लास्ट के फैसले पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “मालेगांव विस्फोट मामले का फैसला निराशाजनक है। विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 घायल हुए। उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। जानबूझकर की गई घटिया जाँच/अभियोजन पक्ष ही उन्हें बरी करने के लिए ज़िम्मेदार है। विस्फोट के 17 साल बाद, अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जिस तरह उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोटों में आरोपियों को बरी करने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी? क्या महाराष्ट्र के “धर्मनिरपेक्ष” राजनीतिक दल जवाबदेही की मांग करेंगे? उन छह लोगों की हत्या किसने की?”
ओवैसी ने आगे लिखा, “याद कीजिए, 2016 में इस मामले की तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियान ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि एनआईए ने उनसे आरोपियों के प्रति “नरम रुख” अपनाने को कहा था। याद कीजिए, 2017 में, एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को बरी करवाने की कोशिश की थी। वही व्यक्ति 2019 में भाजपा सांसद बनीं। करकरे ने मालेगांव में हुई साज़िश का पर्दाफ़ाश किया था और दुर्भाग्य से 26/11 के हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे। भाजपा सांसद ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था और उनकी मृत्यु उसी श्राप का परिणाम थी।”
एआईएमआईएम प्रमुख ने सवाल करते हुए लिखा, “क्या एनआईए/एटीएस अधिकारियों को उनकी दोषपूर्ण जाँच के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? मुझे लगता है कि हमें इसका जवाब पता है। यह “आतंकवाद पर सख्त” मोदी सरकार है। दुनिया याद रखेगी कि इसने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बनाया था।” बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में भीड़भाड़ वाले इलाके में कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर रखे बम के विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 घायल हो गए थे। इस मामले में एनआईए कोर्ट का फैसला लगभग 17 साल बाद आया है।
1. The Malegaon blast case verdict is disappointing. Six namazis were killed in the blast and nearly 100 were injured. They were targeted for their religion. A deliberately shoddy investigation/prosecution is responsible for the acquittal.
2. 17 years after the blast, the Court…पढ़ें :- मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी आरोपी बरी: सीएम योगी बोले-यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी चरित्र को पुनः उजागर करता
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 31, 2025
एनआईए कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
मालेगांव ब्लास्ट पर फैसला सुनाते हुए एनआईए कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर है। अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकल में था। प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला कि उन्होंने बम बनाया या उसे सप्लाई किया। यह भी साबित नहीं हुआ कि बम किसने लगाया? घटना के बाद विशेषज्ञों ने सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों में गड़बड़ी हुई।
कोर्ट ने यह भी कहा कि धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया। घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए और बाइक का चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ। साथ ही, वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम से थी, यह भी सिद्ध नहीं हो पाया।