मांड के प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बल और राज्य समर्थित समूह बलूच युवाओं की हत्याओं के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए धमकी और गिरफ्तारियां कर रहे हैं। बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, बलूच येकजेहती समिति (बीवाईसी) द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन तीन युवकों की हत्या के जवाब में आयोजित किया गया था। मुल्ला मुजीब का बेटा इज़हार मुल्ला बहराम बलूच और हाजी यार मुहम्मद का बेटा जलाल को कुछ घंटों के अंतराल में मार दिया गया था।
नई दिल्ली। मांड के प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बल (pakistani security forces) और राज्य समर्थित समूह बलूच युवाओं की हत्याओं (killings of Baloch youth) के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए धमकी और गिरफ्तारियां कर रहे हैं। बलूचिस्तान पोस्ट (Balochistan Post) के अनुसार, बलूच येकजेहती समिति (Baloch Yekjehti Committee) द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन तीन युवकों की हत्या के जवाब में आयोजित किया गया था। मुल्ला मुजीब का बेटा इज़हार मुल्ला बहराम बलूच और हाजी यार मुहम्मद का बेटा जलाल को कुछ घंटों के अंतराल में मार दिया गया था। स्थानीय लोगों ने कथित तौर पर राज्य के अधिकारियों द्वारा समर्थित मिलिशिया लक्षित हमले के रूप में वर्णित किया था। जिन्हें अक्सर डेथ स्क्वॉड कहा जाता है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान, मुल्ला राशिद ने अधिकारियों पर बलूच नरसंहार (baloch massacre) करने का आरोप लगाया है। बाद में उन्हें एक सैन्य सुविधा में बुलाया गया, जहां उन्हे प्रताड़ित किया गया। विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाली एक अन्य स्कूल शिक्षिका साइमा सरवर (Teacher Saima Sarwar) को भी प्रतिशोध का सामना करना पड़ा। उन्हें उनकी प्रिंसिपल, पूर्व संघीय मंत्री जुबैदा जलाल की बहन, रहीमा के कार्यालय में बुलाया गया और बिना किसी पूर्व सूचना या कानूनी प्रक्रिया के उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया। अन्य प्रदर्शनकारियों के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें सीधे तौर पर धमकाया गया या सैन्य शिविरों में बुलाया गया, जहां उन्हें अपने बच्चों को ऐसे विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने से रोकने की चेतावनी दी गई। कुछ को कथित तौर पर आगाह किया गया था कि राजनीतिक समारोहों में लगातार भागीदारी करने से उन्हें जबरन गायब किया जा सकता है। जैसा कि द बलूचिस्तान पोस्ट ने बताया है। ये कार्रवाइयां राज्य द्वारा असहमति की आवाज़ों को दबाने और बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की आलोचना को रोकने के व्यापक प्रयास का हिस्सा हैं। मानवाधिकार अधिवक्ताओं (human rights lawyers) ने चेतावनी दी है कि यह कार्रवाई प्रांत में तनाव को और बढ़ा सकती है। राज्य संस्थानों में विश्वास को कम कर सकती है और अशांति को बढ़ावा दे सकती है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस तरह के उपाय बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन पर चल रही चिंताओं को रेखांकित करते हैं।