सनातन परंपराओं में शुभ और अशुभ कार्यों का विशेष महत्व है। शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग के अनुसार, दिन, समय और मुहूर्त देखने की मान्यता रही है।
Panchak 2025 : सनातन परंपराओं में शुभ और अशुभ कार्यों का विशेष महत्व है। शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग के अनुसार, दिन, समय और मुहूर्त देखने की मान्यता रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से उस कार्य का सर्वोत्तम फल मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इसी प्रकार अशुभ काल या मुहूर्त में किए गए अच्छे कार्यों पर भी नकारात्मकता का प्रभाव बढ़ जाता है। हिंदू पंचांग में पंचक को अशुभ समय माना जाता है, जिसमें कुछ विशेष कार्य करने की मनाही होती है। नवंबर का आखिरी पंचक 27 नवंबर 2025 से शुरू हुआ। हालांकि, गुरुवार से शुरू होने के कारण यह पंचक दोषरहित माना गया है। जानिए नियम और वे काम जो इन पांच दिनों में नहीं करने चाहिए।
पंचक
प्रारंभ— पंचांग के अनुसार, नवंबर का दूसरा और आखिरी पंचक 27 नवंबर 2025, गुरुवार को दोपहर 02:07 बजे से प्रारंभ होकर 01 दिसंबर 2025, सोमवार की रात को 11:18 बजे खत्म होगा। गुरुवार से शुरू होने वाला ये दोषरहित पंचक होगा।
धार्मिक दृष्टि से पंचक शादी विवाह के लिए लाभदायक नहीं माना गया है। नवंबर में 27 तारीख से पंचक की शुरुआत होने जा रही है।
पंचक में इन कार्यों से बचना चाहिए
हालांकि, यह पंचक दोषरहित है, फिर भी कुछ कार्यों पर निषेध लागू रहेगा-
मकान पर छत डलवाना
चारपाई बुनना, खोलना या बांधना
दक्षिण दिशा की यात्रा
लकड़ी खरीदकर घर लाना या इकट्ठा करना
दाह संस्कार से जुड़े नियमों में लापरवाही न करें
पंचक में ये कार्य न करने से संभावित जोखिम और बाधाओं से बचा जा सकता है।
पंचक हर महीने लगभग पांच दिनों के लिए लगता है। यह पांच नक्षत्रों – धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती, के संयोग से बनने वाला विशेष समय होता है। यह अवधि तब शुरू होती है जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम चरण से शुरू होकर रेवती नक्षत्र के अंत तक गोचर करता है, जो कि कुंभ और मीन राशि में होता है।