एक्टर जितेंद्र कुमार और महवश आने वाली रोमांटिक-कॉमेडी टेढ़ी हैं पर मेरी हैं में लीड रोल में दिखेगें। फिल्म को रेमो डिसूज़ा ने प्रेज़ेंट किया है और जयेश प्रधान ने डायरेक्ट किया है। प्रदीप सिंह की लिखी यह मूवी दिल से जुड़े रिश्तों के चार्म को दिखाती है। ईशान शिल्पी वर्मा, विशाल त्यागी और अनवर अली खान ने कुरी स्टूडियो और शायशा मोशन पिक्चर्स के साथ मिलकर इसे प्रोड्यूस किया है।
मुंबई। एक्टर जितेंद्र कुमार और महवश (Actors Jitendra Kumar and Mahvash) आने वाली रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म टेढ़ी हैं पर मेरी हैं (movie tedhee hain pr meree hain) में लीड रोल में दिखेगें। फिल्म को रेमो डिसूज़ा (Remo D’Souza) ने प्रेज़ेंट किया है और जयेश प्रधान (Jayesh Pradhan) ने डायरेक्ट किया है। प्रदीप सिंह की लिखी यह मूवी दिल से जुड़े रिश्तों के चार्म को दिखाती है। ईशान शिल्पी वर्मा, विशाल त्यागी और अनवर अली खान ने कुरी स्टूडियो और शायशा मोशन पिक्चर्स (Kuri Studios and Shayeshaa Motion Pictures) के साथ मिलकर इसे प्रोड्यूस किया है। इस फिल्म में नेशनल अवॉर्ड-विनिंग कंपोज़र इस्माइल दरबार (National Award-winning composer Ismail Darbar) का म्यूज़िक है।
प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए रेमो डिसूज़ा ने कहा कि एक फिल्ममेकर के तौर पर अपने सफ़र में मुझे हमेशा ऐसी कहानियां पसंद आई हैं जो असलियत पर आधारित हों। साथ ही एक अनोखे स्पार्क से भरी हों। फिल्म टेढ़ी हैं पर मेरी हैं बिल्कुल वैसी ही है। जितेंद्र कुमार जैसे भरोसेमंद एक्टर का होना, जिनकी कॉमेडी और एक्टिंग का शानदार काबिलियत है। यह पक्का करता है कि यह फिल्म दर्शकों के दिलों में उतर जाएगी। जितेंद्र कुमार, जिन्हें ‘पंचायत’, ‘कोटा फैक्ट्री’, ‘शुभ मंगल ज़्यादा सावधान’ और ‘भागवत: चैप्टर वन – राक्षस’ में उनकी शानदार परफॉर्मेंस के लिए जाना जाता है। डिसूजा ने कहा कि टाइटल ही टेढ़ी हैं पर मेरी हैं सच्चे, बिना फिल्टर वाले प्यार की भावना को पूरी तरह से दिखाता है। इस फिल्म में एक शानदार, कमियों वाला और असली किरदार निभाना एक रिफ्रेशिंग चैलेंज है। मेरा मानना है कि यह फिल्म हर उस इंसान को पसंद आएगी जो समझता है कि सबसे खूबसूरत रिश्ते अक्सर सबसे कमज़ोर होते हैं। महवश ने कास्ट में शामिल होने पर अपने विचार भी शेयर किए। यह सिर्फ़ एक लव स्टोरी नहीं है। यह एक बहुत ही उथल-पुथल वाली कहानी है! जिस चीज़ ने मुझे अपनी ओर खींचा। वह यह थी कि किरदार कितने असली और अधूरे हैं।