एकादशी तिथि को शुभ और विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Papmochani ekadashi 2025 : एकादशी तिथि को शुभ और विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। हर साल चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी पर पापमोचनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस इस दिन भगवान विष्णु तुलसी अर्पित करने का विशेष महत्व है। पौराण्कि ग्रंथों के अनुसार,श्री हरि को तुलसी बेहद ही प्रिय है।
भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया था कि जग में तुम तुलसी के रूप में पूजी जाओगी ओर मेरे प्रसाद से पहले तुम्हारा भोग लगाना अनिवार्य होगा इसी कारण से भगवान विष्णु के प्रसाद में तुलसी का होना अनिवार्य है। और तुलसी सिर्फ भगवान विष्णु या विष्णु अवतारों के विग्रहों के साथ ही भोग लगाया जाता है। बाकी देवताओं को तुलसी का भोग लगाने से पाप लगता है।
पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ 25 मार्च 2025 की प्रात: 5:5 पर होगा। 26 मार्च 2025 को सुबह 03:45 पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार पापमोचनी एकादशी व्रत 25 मार्च 2025, मंगलवार के दिन रखा जाएगा।
तुलसी से जुड़े कुछ उपाय
पापमोचिनी एकादशी पर तुलसी से जुड़े कुछ उपाय, जिनके द्वारा आप प्रभु श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं, तो आईए जानते हैं-
दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है
पापमोचनी एकादशी के दिन दम्पति को तुलसी के पौधे में कलावा बांधना चाहिए और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा आपके ऊपर बनी रहती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल तरीके से बीतता है। इसके साथ ही एकादशी के दिन तुलसी माता को सुहाग की सामग्री और लाल चुनरी भी जरूर अर्पित करें। इससे दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।
पापमोचनी एकादशी पर तुलसी में जल न चढ़ाएं।
माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है
पापमोचनी एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए। उनके सामने दिया जलाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्ण के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।
तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए
पापमोचनी एकादशी के दिन भूलकर भी माता तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इतना ही नहीं इस दिन भूलकर भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा करने भगवान विष्णु नााराज हो सकते हैं।