पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को अब पार्टी कार्यकर्ताओं की याद आई है और यही कारण है कि वे कार्यकर्ताओं से रूबरू होकर उनकी बातों को सुनने का प्लान बना रहे है। बता दें कि प्रदेश में जब से कांग्रेस ने पटवारी को कमान सौंपी है तभी से किसी न किसी रूप से वे असफल सिद्ध हो रहे है।
भोपाल। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को अब पार्टी कार्यकर्ताओं की याद आई है और यही कारण है कि वे कार्यकर्ताओं से रूबरू होकर उनकी बातों को सुनने का प्लान बना रहे है। बता दें कि प्रदेश में जब से कांग्रेस ने पटवारी को कमान सौंपी है तभी से किसी न किसी रूप से वे असफल सिद्ध हो रहे है। जीतू पटवारी अब नए सिरे से कवायद करने जा रहे हैं। इसके तहत वे अब जल्द ही कार्यकर्ताओं से रुबरु होने की योजना बना रहे हैं। इसके जरिए उनके द्वारा कार्यकर्ताओं की बात को मिलकर सुना जाएगा। अहम बात यह है कि अपनी मन की बात कहने के लिए कार्यकर्ताओं को भोपाल नहीं आना पड़ेगा, बल्कि वे कार्यकर्ता की बात सुनने के लिए उसके इलाके में जाएंगे।
पीड़ा बाहर आने के बाद उनकी नाराजगी भी दूर होगी
उनका मानना है कि इससे न केवल कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा होगा , बल्कि वे उनकी पीड़ा बाहर आने के बाद उनकी नाराजगी भी दूर होगी। इससे कार्यकर्ता सक्रिय भी होगा और गुटबाजी भी समाप्त होगी। इसके लिए प्रदेश स्तर पर व्यापक योजना तैयार कर ली गई है। इसे अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह से शुरू करने की तैयारी है, जिसका नाम कार्यकर्ता पंचायत के नाम दिया गया है।
कार्यकर्ता पंचायत
दिल्ली में होने जा रही है 3 अप्रैल की बैठक से लौटने के बाद पटवारी ने कार्यकर्ता पंचायत के नाम से हर जिले में जाने की तैयारी की है, ताकि निचले स्तर के कार्यकर्ताओं और नेताओं से वे उनके मन की बात जान सके। इतना ही नहीं, पटवारी अब कांग्रेस को एकजुट करने और निचले स्तर के कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनने के लिए हर जिले के दौरे का प्लान बना रहे हैं। इसके तहत वे कार्यकर्ताओं के बीच जाएंगे और उनकी शिकायतों को लेकर बात करेंगे।
पटवारी कांग्रेस में गुटबाजी को कैंसर बता चुके हैं
स्वयं पटवारी कांग्रेस में गुटबाजी को कैंसर बता चुके हैं, जिसको लेकर उन्हें अपने ही नेताओं की आलोचना का शिकार होना पड़ा है। दरअसल, जीतू पटवारी द्वारा प्रदेश कांग्रेस की कमान सम्हालने के बाद प्रदेश में हुए एक विधानसभा सीट के उपचुनाव में मिली जीत को छोडक़र कांग्रेस को सभी चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। इसमें सर्वाधिक बुरी हार का सामना कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में करना पड़ा। यही वजह है कि प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है, जब कांग्रेस के पास लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है और सभी 29 निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। पूर्व प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष और कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी संगठन में तेजी से हो रही गिरावट और दलबदल को संभालने में अब तक पूरी तरह से सफल नहीं सके हैं। उनके ही कार्यकाल में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष और अग्रिम संगठन के पदाधिकारियों सहित 5800 वरिष्ठ पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि हजारों समर्थकों और कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थामा गया है।